रिलिजन डेस्क.चाणक्य नीति के तेरहवें अध्याय के छठे श्लोक में सफलता पाने और काम करने का तरीका बताया गया है। चाणक्य नीति में बताई बातों को अपनाकर कोई भी जॉब, बिजनेस या किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए चाणक्य नीति में बताया है कि सोच कैसी होनी चाहिए, किस तरह से काम करना चाहिए और आपका स्वभाव कैसा होना चाहिए। इन बातों को ध्यान में रखकर कोई भी इंसान मुश्किल समय में भी आगे बढ़ता है और सफल हो जाता है।
चाणक्य नीति का श्लोक
अनागत विधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा।
द्वावेतौ सुखमेवैते यद्भविष्यो विनश्यति।।6।।
चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य का कथन है कि जो व्यक्ति भविष्य में आने वाली विपत्ति के प्रति जागरूक रहता है और जिसकी बुद्धि तेज होती है, ऐसा ही व्यक्ति सुखी रहता है। इसके विपरीत भाग्य के भरोसे बैठा रहने वाला व्यक्ति नष्ट हो जाता है। आशय यह है कि जो व्यक्ति किसी भी आने वाली विपत्ति का डटकर मुकाबला करता है और जिसकी बुद्धि ऐसे समय में तेजी से काम करने लगती है, ऐसा व्यक्ति विपत्ति को भी हरा देता है तथा सुखी रहता है, किन्तु जो व्यक्ति ‘जो भाग्य में लिखा है वह तो होगा ही’ यही सोचकर हाथ पर हाथ रखकर बैठा रहता है, वह बर्बाद हो जाता है। अतः दुःख का वीरता से सामना करना चाहिए।
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