न्यूयॉर्क. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने आतंकियों की फंडिंग रोकने के लिए प्रस्ताव (रेजोल्यूशन) पास किया। यह भी कहा गया कि दुनिया के सभी देशों को आतंकी गुटों को होने वाली फंडिंग रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। वहीं, यूएन में भारत ने पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए कहा कि नियमों को ताक पर रखने वाले आतंकवाद का समर्थन करते रहेंगे।
इस बीच, पाक के पुलवामा हमले के और सबूत मांगे जाने पर भारत ने निराशा जताई। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि इस पर पाक का रवैया पहले जैसा ही है। वह (पाक) तो पुलवामा हमले को आतंकी हमला मानने से भी इनकार करता है। 2008 के मुंबई और 2016 के पठानकोट हमले के बाद भी पाक ने ऐसी ही भाषा का इस्तेमाल किया था।
गुरुवार को सर्वसम्मति से पारित इस प्रस्ताव में कहा गया कि हर देश के पास गंभीर अपराधों, पैसा जुटाने या आतंकी संगठनों को संसाधनों और सेवाएं मुहैया कराने वालों के खिलाफ केस चलाने और उन्हें लागू करने के लिए कानून होना चाहिए।
फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां-यीव्स ला द्रियां ने आतंकियों को होने वाली फंडिंग पर रोक लगाने का प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए जरूरी है कि उसे मिलने वाले पैसे को रोक दिया जाए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसके खिलाफ एकजुट होना होगा।
यूएनएससी में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा- यूएन द्वारा पास किए गए प्रस्ताव से आतंकी फंडिंग पर लगाम लग सकेगी। नियमों के उल्लंघन के लिए आतंकी रोज नए रास्ते तलाश रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आतंकियों का सच जानने के बावजूद कुछ देश उन्हें पनाह दे रहे हैं और उनकी गतिविधियों को सही ठहराते हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब बेसब्री से आतंकियों पर कार्रवाई का इंतजार कर रहा है।
उधर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा- भारत की तरफ से पुलवामा हमले को लेकर एक विस्तृत डोजियर पाक को दिया गया था। इसमें यह भी कहा गया था कि पाक में अब भी आतंकी गुट और उनके सरगना मौजूद हैं और सीमापार आतंकी हमले हो रहे हैं। लेकिन इस मामले में पाक का जवाब निराशाजनक है। पाकिस्तान तो लगातार सीमापार आतंकवाद के मुद्दे से इनकार कर रहा है।
रवीश कुमार ने यह भी कहा- पाक ने जिस तरह से जवाब दिया है, उससे भारत आश्चर्यचकित है। 2008 के मुंबई और 2016 में पठानकोट हमले के बाद भी पाक ने इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल किया था। उधर, बुधवार को पाक विदेश मंत्रालय ने कहा कि डोजियर की जांच के बाद पुलवामा हमले की प्रारंभिक जांच भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया के साथ साझा की गईं।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक- पाक ने ऐसी कोई जानकारी हमें नहीं दी, जिससे पता चल सके कि उसने अपनी जमीन पर पल रहे आतंकी गुटों पर क्या कार्रवाई की। भारत ने 27 फरवरी को पुलवामा हमले को लेकर एक विस्तृत डोजियर पाक को सौंपा था जिसमें हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद को जिम्मेदार बताया गया था। डोजियर में साफ लिखा था कि जैश सरगना मसूद अजहर पाक में है।
कुमार ने कहा- यह सब जानते हैं कि जैश सरगना मसूद अजहर पाक में रह रहा है। यह बात हाल ही में पाक के विदेश मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया से कही थी। अगर ईमानदारी से कार्रवाई करने की मंशा हो तो ऐसा करने के लिए पाक के पास सबूतों की कोई कमी नहीं है।
फ्रांस-ब्रिटेन की मदद से अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के लिए नया प्रस्ताव पेश किया। ये प्रस्ताव यूएनएससी के सभी 15 सदस्यों को दिया गया है और सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है। अगर प्रस्ताव पर एकराय बनती है तो मसूद पर ट्रैवल बैन, संपत्ति सीज होने जैसी कई कार्रवाई हो सकती हैं। 2 हफ्ते पहले भी इन तीनों देशों ने मसूद के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन चीन ने इसमें टेक्निकल होल्ड लगाकर चौथी बार मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचा लिया था।
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