भिंड। भिंड शहर के वीरेंद्र नगर इलाके में एक महिला और चार नाबालिगों की निर्दयतापूर्वक हत्या करने वाले अंकुर उर्फ नीतेश दीक्षित को द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश एमएल राठौर ने मंगलवार को फांसी की सजा सुनाई। युवक ने एक के बाद एक पांच लोगों की गला रेत कर हत्या की थी।
डीपीओ प्रवीण दीक्षित ने बताया कि 14 मई 2016 को रामबाबू शुक्ला पुत्र राधाकृष्ण निवासी वार्ड क्रमांक छह वीरेंद्र नगर ने शहर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनके घर के अंदर बहू रीना, नातिन छवि, महिमा व रीना की भतीजी अंबिका मृत अवस्था में पड़ी थीं। उनके नाक से झाग आ रहा था और गले कटे हुए थे। दूसरे कमरे में उनके साले राजकुमार के बेटे गोलू की लाश पड़ी थी। इस सनसनीखेज वारदात के बाद कोतवाली पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर पड़ताल शुरू की।
अवैध संबंध उजागर न हो इसलिए की हत्या: पड़ताल में सामने आया कि आरोपी अंकुर पुत्र राजेश दीक्षित निवासी डॉक्टर पाराशर वाली गली गोविंद नगर के मृतका रीना शुक्ला से अवैध संबंध थे। रात में वह रीना से मिलने गया था। वहीं रीना ने सभी बच्चों को पहले ही नींद की गोलियां दे दी थी। पर अचानक गोलू जाग गया और उसने अंकुर और रीना को आपत्तिजनक हालत में देख लिया। इसके बाद अंकुर ने एक के बाद एक सभी की गला रेत कर हत्या कर दी।
कोर्ट की टिप्पणी : जो व्यक्ति केवल एक महिला के साथ संबंध होने के कारण चार छोटे-छोटे बच्चों एवं रीना की निर्ममतापूर्वक हत्या कर सकता है, वह व्यक्ति भविष्य में अपनी इच्छा की पूर्ति न होने पर किसी भी व्यक्ति को मार सकता है। उसमें सुधार होने की कोई संभावना नहीं है। ऐसे व्यक्ति को समाज में जीवित छोड़ना अन्य व्यक्तियों की जान एवं समाज को असुरक्षित करना है। उक्त पांच व्यक्तियों की जघन्य रूप से हत्या की गई, जिससे पूरा शहर एवं आसपास के लोग दंग रह गए। यदि आरोपी को कारावास से दंडित किया गया तो निश्चित ही समाज एवं पीड़ितों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और इस प्रकार के घिनौने कृत्य किए जाने के लिए अपराधी प्रोत्साहित होंगे। अत: इस अपराध की पृष्ठभूमि में आजीवन कारावास का दंडादेश अपर्याप्त प्रतीत होता है और उससे न्याय की मंशा पूर्ण नहीं होती, क्योंकि आरोपी का यह आपराधिक कृत्य विरलतम की श्रेणी में आता है।
कोर्ट ने विरलतम श्रेणी का आपराधिक कृत्य माना
बच्चों को नींद की गोली देकर सुला देती थी, एक बच्चे ने देख लिया तो एक के बाद एक पांचों को मार डाला
इन दो अफसरों की रही विशेष भूमिका : तत्कालीन भिंड एसपी नवनीत भसीन: इस अंधे हत्याकांड के खुलासे के लिए वैज्ञानिक ढंग से जांच कराई गई। एफएसएल अधिकारी डॉ. अजय सोनी ने भौतिक साक्ष्यों का बारीकी से परीक्षण किया। तत्कालीन एसपी नवनीत भसीन (वर्तमान में ग्वालियर) ने स्वयं व्यक्तिगत रुचि लेकर विवेचक (तत्कालीन शहर कोतवाली टीआई) आसिफ मिर्जा बेग के माध्यम से गहन जांच कराई।
डीपीओ प्रवीण दीक्षित: न्यायालय में राज्य की ओर से अभियोजन का संचालन किया। अंकुर को दोषी साबित करने के लिए साक्ष्यों को क्रमबद्ध तरीके से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। अंतिम बहस के दौरान उच्चतम न्यायालय के सिद्धांतों को सशक्त तर्क के साथ प्रस्तुत किया।
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