जोहानेसबर्ग. यहां 80 साल की बुजुर्ग महिलाएं स्वस्थ रहने के लिए बॉक्सिंग करती हैं। इतना ही नहीं वे डांस और गाना भी गाती हैं और हफ्ते में दो बार जिम भी जाती हैं। इन महिलाओं को बॉक्सिंग ग्रेनी कहा जाता है।
कॉन्सटेंस नगुबेन कहती हैं कि मेरी जिंदगी चलते-चलते अचानक रुक सी जाती है। कभी अच्छा होता है तो कभी बुरा भी होता है। जब से मैंने बॉक्सिंग शुरू की, मैं 16 साल की लड़की जैसा महसूस करने लगी हूं। लेकिन सच यह है कि मैं 16 नहीं 80 साल की हूं। मुझे अपनी हमउम्र महिलाओं के साथ मिलना-जुलना अच्छा लगता है। वे परिवार की तरह हैं।
महिलाओं के लिए 2014 में बॉक्सिंग गोगोज कार्यक्रम शुरू किया गया था। दक्षिण अफ्रीका में बुजुर्ग महिलाओं को गोगोज भी कहा जाता है। इन बुजुर्ग महिलाओं के लिए बॉक्सिंग खेलना शारीरिक कसरत से ज्यादा सामाजिक गतिविधि है। मेयो क्लीनिक के एक शोध में पाया गया है कि लोगों के साथ मिलने-जुलने के साथ कसरत करना उम्र को बढ़ाता है।
70 साल की मेबल मखोशी कहती हैं कि चार साल पहले मैंने बॉक्सिंग और जिम करना शुरू किया था। इसके चलते स्वास्थ्य में काफी सकारात्मक बदलाव महसूस किया है। ब्लड प्रेशर और डायबिटीज भी नियंत्रित है। जब चैकअप कराया तो डॉक्टर ने पूछा कि आप क्या कर रही हैं। मैंने उन्हें एक्सरसाइज के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि मैं बेहतर कर रही हूं।
बॉक्सिंग गोगोज प्रोजेक्ट से जुड़े क्लॉड मफोसा बताते हैं कि एक्सरसाइज-बॉक्सिंग से जुड़ने के बाद महिलाओं का आत्मविश्वास बेहतर हुआ है। यह सुकून देने वाली बात है कि जो महिलाएं उम्मीद खो चुकी थीं, आज वे मजबूत नजर आती हैं।
ऑक्सफोर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन एजिंग में प्रो. सारा हार्पर के मुताबिक- किसी भी व्यक्ति के जीवन में भोजन और एक्सरसाइज ही जरूरी नहीं होते, सामाजिक होना भी स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। कई शोधों से साबित हो चुका है कि सोशल नेटवर्किंग से व्यक्ति लंबा जीता है।
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