पेरिस. जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर फ्रांस सड़क पर उतर आया है। वहां 220 शहरों में 3.5 लाख से ज्यादा लोगों ने मार्च किया। राजधानी पेरिस में ही 45 हजार लोग शामिल हुए। इसे मार्च ऑफ द सेंचुरी नाम दिया गया।
हाथों में गमले, जीवों के चित्र वाले बैनर-पोस्टर लिए प्रदर्शनकारियों का कहना था कि हमारा विरोध उन लोगों के खिलाफ भी है, जो अरबों रुपए कमा रहे हैं पर पर्यावरण के लिए कुछ नहीं कर रहे। मौसम में बदलाव का असर इंसानों के साथ ही धरती के सभी जीवों पर पड़ रहा है। अगर इन्हें बचाना है तो पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य को हासिल करना जरूरी है।
इस समझौते के तहत धरती के तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य है। जलवायु परिवर्तन को लेकर नीदरलैंड में 11 मार्च को 40 हजार लोगों ने मार्च किया था। इसके बाद 15 मार्च को 100 देशों के छात्रों ने प्रदर्शन किया था।
ग्लोबल वार्मिंग ने दुनिया के लिए मौके भी दिए हैं। इसने कोयला, डीजल-पेट्रोल जैसे परंपरागत ईंधन के बजाय अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल) के विकल्प अपनाने के लिए मजबूर किया है। वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट के मुताबिक- 2020 तक सोलर पॉवर, विंड पॉवर जैसे अक्षय ऊर्जा का 13 लाख करोड़ का बाजार हो जाएगा।
पर्यावरण की रक्षक: 16 साल की ग्रेटा नोबेल के लिए नामित की गई-
इस साल के नोबेल शांति सम्मान के लिए पर्यावरण की रक्षक 16 साल की ग्रेटा थनबर्ग को नामित किया गया है। उसने पिछले साल अगस्त में क्लाइमेट चेंज के खिलाफ क्लास छोड़कर स्वीडन की संसद के बाहर प्रदर्शन किया था। उसके बाद तीन सांसद उसे नोबेल देने का प्रस्ताव लाए।
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