Saturday, 26th July 2025

हौंसले की दास्तां / सुन-बोल नहीं सकती थी, सात साल तक सही दुष्कर्म की पीड़ा... लेकिन अब वही बनी सैंकड़ों बेजुबानों की आवाज

Mon, Mar 18, 2019 7:42 PM

 

  • मूक-बधिर युवती के साहस से विकलांग कंेद्र के संचालक की दरिंदगी का हुआ था खुलासा

स्नेहा खरे,  भोपाल . यह दास्तां है शोषण और डर के आगे हार ना मानने वाली एक साहसी युवती की, जिसने ना सिर्फ खुद के साथ लगातार दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति के खिलाफ आवाज उठाई बल्कि वह अपने जैसे सैकड़ों बेजुबान बच्चों की आवाज बन गई। अच्छी बात यह है कि इस लड़ाई में उसके जीवन साथी ने भी उसका साथ दिया।

वो सुन-बोल नहीं सकती हैं लेकिन अपने जैसी सैंकड़ों  बेजुबान बच्चियों की आवाज बन गई है। िसस्टम का अमानवीय रवैया , सामाजिक बदनामी का डर और रिश्तों का मोह भी अन्याय के खिलाफ संघर्ष की उसकी लगन को रोक नहीं पाए। मदद के नाम सालों तक शारीरिक शोषण करने वाले दरिंदे को जेल पहुंचाकर ही मानी । उसके प्रयासों  से  सैंकड़ों मूक-बधिर और विकलांग बच्चों को भी शोषण से मुक्ति मिल गई है।

हम बात कर रहे हैं भोपाल की एक साहसी युवती की। भोपाल के बैरागढ़ में  संचालित साईं विकलांग केंद्र के संचालक एमपी अवस्थी के खिलाफ  सितंबर 2018 में  छह लड़के-लड़कियों ने शारीरिक शोषण की शिकायत की थी। भोपाल में रहने वाली 25 वर्षीय लावन्या(परिवर्तित नाम) ने इस मामले में सबसे अहम भूमिका निभाई है। उसने वीडियो कॉल के माध्यम से अवस्थी के शारीरिक शोषण का शिकार बने लड़के-लड़कियों को  उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के लिए तैयार किया था।

अब भी जिंदा है जख्म.... अफसरों ने लीपापोती की, लेकिन उसने हार नहीं मानी : लावन्या को उसके पिता 5 साल की उम्र में होशंगाबाद स्थित अवस्थी के विकलांग कंेद्र में पढ़ाई के लिए छोड़ गए थे। पांच साल बाद माता-पिता की मौत हो गई है। 10 साल की उम्र में अवस्थी ने पहली बार उसके साथ ज्यादती की। 4 साल तक यह सिलसिला चलता रहा। इसी बीच एक आदमी ने लावन्या की पढ़ाई का खर्च उठाते हुए उसे भोपाल के आशा निकेतन स्कूल भिजवा दिया, लेकिन अवस्थी हर शनिवार उसे केंद्र ले जाता और ज्यादती करता।

विरोध करने पर अवस्थी व वार्डन कविता डंडों से पिटाई करते। लावन्या के शरीर पर आज भी उन जख्मों के निशान हैं। 12वीं की पढ़ाई के बाद लावन्या होशंगाबाद लौटी। अवस्थी की हरकतों का उसने विरोध किया। अवस्थी ने उसके कॉलेज जाने पर रोक लगा दी। लावन्या ने होशंगाबाद के अपने कॉलेज की टीचर की मदद से 2017 में होशंगाबाद कलेक्टर ओर सामाजिक न्याय विभाग में अवस्थी की शिकायत की लेकिन विभाग ने अवस्थी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की जगह मामले की लीपापोती कर दी।

पति एवं परिवार ने बढ़ाया हौंसला :  लावन्या के धर्म पिता ने भोपाल के एक मूक-बधिर युवक से फरवरी 2018 में उसका विवाह कर दिया लेकिन लावन्या किसी भी तरह अवस्थी को सजा दिलाना चाहती थी।  उसकी कहानी जानने के बाद पति अमित (परिवर्तित नाम) और पूरा परिवार लावन्या के साथ खड़ा हो गया।

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