ग्वालियर। प्रदेश के शासकीय स्कूलों में छात्रों को नए शिक्षण सत्र में मनोरंजक खेल भी खिलाए जाएंगे। साथ ही प्राथमिक स्तर पर विद्यार्थियों को रस्सीकूद का अभ्यास कराया जाएगा, लेकिन उन्हें बिना रस्सी के कूदना होगा। इसके पीछे विशेषज्ञों का तर्क है कि कई बार बच्चे रस्सी में फंसकर गिर जाते हैं।
इसलिए शुरुआत में उन्हें केवल जंप का अभ्यास कराया जाए। यह सुझाव एलएनआईपीई और राज्य शिक्षा केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में शारीरिक शिक्षा पर पाठ्यक्रम तैयार करने को लेकर ग्वालियर में शुरू हुई कार्यशाला में प्रदेशभर से आए विशेषज्ञों ने दिए। विशेषज्ञों ने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में शारीरिक शिक्षा कंपल्सरी नहीं है। इसलिए यहां इसे कंपल्सरी करने की अधिक आवश्यकता है। बड़ी क्लास के छात्रों के लिए एरोबिक को भी शामिल किए जाने का सुझाव दिया गया।
बनाए गए एक्सपर्ट पैनल : माॅडल करिकुलम के लिए 3 ग्रुप में एक्सपर्ट पैनल बनाए गए हैं। पहले ग्रुप में डॉ. यतेंद्र सिंह, नीतेश राजपूत, डॉ. मनोज साहू, श्वेता यादव, विजय भार्गव, मारू मारियो। दूसरे ग्रुप में प्रो. एमके सिंह, डॉ. वायएस राजपूत, डॉ. छाया चौधरी, आरके सिंह और मुकेश नरवरिया शामिल हैं। तीसरे ग्रुप में डॉ. पुष्पेंद्र, डॉ. मेघा साहू, शिल्पी चुघ, टीपी शर्मा और श्रीकांत हैं।
एक्सपर्ट ने यह दिए सुझाव : सभी कक्षा के लिए मास पीटी लागू की जाए। यदि किन्हीं परिस्थितियों में यह बड़ी कक्षाओं में विषय के रूप में लागू न हो सके तो वहां विजिटर टीचर भेजे जाएं। प्रदेश के शासकीय स्कूलों में अभी तक शारीरिक शिक्षा का कोई मापदंड नहीं रहा है, इसके मापदंड तय किए जाएं।
संभावित मॉडल करिकुलम
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