Sunday, 8th June 2025

मप्र / निजी अस्पतालों में बेटियां कम; सरकारी अस्पतालों में बढ़ा, निजी में घटा सेक्स रेशो

Tue, Mar 12, 2019 5:17 PM

दीपेश शर्मा, इंदौर . इंदौर के निजी अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों का जन्म के समय लिंगानुपात हर महीने बदल रहा है। 2018 के छह महीने तो यह लगातार कम होता गया। इसका मतलब हुआ कि 1000 बेटों की तुलना में बेटियों का जन्म कम हुआ। दूसरी तरफ शासकीय अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों का जन्म के समय लिंगानुपात में ज्यादा फर्क नहीं आ रहा है। 


2018 के 12 महीने का रिकॉर्ड देखने के बाद पीसीपीएनडीटी सेल और प्रशासन के अधिकारी इस अनोखे ट्रेंड से हैरान हैं। निजी अस्पतालों में ऐसा क्या हो रहा है इसे पता लगाने के लिए कलेक्टर ने फिर से आंकड़े चेक कर तह तक जाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही जिन 27 अस्पतालों में जन्म के समय लिंगानुपात सबसे कम रहा, उन्हें नोटिस जारी कर कारण पूछा गया है।  बता दें कि गिरते लिंगानुपात के पीछे सबसे बड़ा कारण गर्भ में ही भ्रूण की लिंग जांच व लिंग आधारित गर्भपात होना पाया जाता है। 

 
शासकीय अस्पताल में बेटियां ज्यादा जन्मी, प्राइवेट अस्पताल में क्यों नहीं : निजी अस्पतालों में बच्चों का जन्म के समय का लिंगानुपात 950 से ऊपर कभी नहीं गया जबकि शासकीय अस्पतालों में यह बढ़ते-बढ़ते 1003 तक पहुंचा। करीब 163 अस्पतालों की जानकारी पीसीपीएनडीटी सेल के पास एकत्र हुई है। इनमें 132 के लगभग निजी अस्पताल हैं। पीसीपीएनडीटी सेल के अधिकारियों ने आंकड़ों का एनालिसिस कर 27 अस्पतालों की छंटनी की जहां लिंगानुपात 787 से लेकर 167 तक पहुंच गया है। 


महिला डॉक्टरों की टीम से भी लिया अभिमत : एडीएम कैलाश वानखेड़े ने बताया पिछले दिनों कलेक्टर कार्यालय में हुई एडवाइजरी कमेटी की बैठक में पीसीपीएनडीटी सेल के अधिकारियों के साथ इस बदलते ट्रेंड पर चर्चा हुई है। इसमें मेडिकल कॉलेज की डॉ. सुमित्रा यादव के साथ ही अन्य महिला डॉक्टरों से भी इस ट्रेंड को लेकर अभिमत लिया गया कि क्या ऐसा संभव है या नहीं। हम प्रारंभिक तौर पर यह भी पता लगा रहे हैं कि कहीं निजी अस्पतालों से आंकड़ों के संकलन में कोई भूलचूक तो नहीं हुई। 


पहली बार ऐसा ट्रेंड सामने आया : म.प्र. वॉलेट्री हेल्थ एसोसिएशन के डायरेक्टर मुकेश सिन्हा ने बताया ऐसा ट्रेंड पहली बार देखने में आ रहा है। शासकीय अस्पतालों में लिंगानुपात सही पाया जा रहा है लेकिन निजी अस्पतालों के इस ट्रेंड पर गहन अध्ययन किया जा रहा है। सभी इसे लेकर आश्चर्य में है कि ऐसा सिर्फ निजी अस्पतालों में क्यों हो रहा है।


डॉक्टर बोले : यह तो शासन पता लगाए, हम तो डिलेवरी करवाते हैं हमारे यहां तो पेशेंट डिलीवरी के लिए आती हैं, सोनोग्राफी हम करते नहीं इसलिए हमारे हाथ में कुछ नहीं। यह तो प्रशासन पता लगाए। 
-डॉ. रमेश नाग्रत, पुष्पकुंज हॉस्पिटल

लिंग परीक्षण को लेकर इतनी सख्ती है कि कोई नहीं बता सकता गर्भस्थ शिशु मेल है या फीमेल। यह तो कुदरतन हो रहा है, हम कैसे तय कर सकते हैं। -डॉ. मनीष जैन, एसएनएस हॉस्पिटल

हमारे यहां तो ज्यादातर डिलेवरी आईवीएफ की होती है, जिससे नि:संतान दंपती को सालों बाद इशु होता है। हम कैसे बता सकते हैं यह कैसे हो रहा है। -डॉ. धीरेंद्र जैन, डॉल्फिन हॉस्पिटल

हम कैसे बता सकते हैं यह अंतर कैसे और क्यों आ रहा है, हमारे हाथ में तो है नहीं। -डॉ. ज्योति तिवारी, ज्योति हॉस्पिटल

हमने तो सालों पहले सोनोग्राफी बंद कर दी थी, हम इस बारे में कुछ नहीं बता सकते कि यह अंतर क्यों आ रहा है। -डॉ. असलम चरा, लाइफ लाइन हाॅस्पिटल

इन पांच अस्पतालों का लिंगानुपात कम 

अस्पताल    बेटे     बेटियां     कुल     जन्म के समय लिंगानुपात
 
पुष्पकुंज हॉस्पिटल     171     127     298     743
 
एसएनएस हॉस्पिटल     150     113    263     753        
 
डॉल्फिन हॉस्पिटल     169     132     301     781
 
ज्योति हॉस्पिटल     193     151     344     782
 
लाइफ लाइन हॉस्पिटल     122     96     218    787

दो सालों में यूं घटा लिंगानुपात

लिंगानुपात     शासकीय     निजी     कुल
 
2017     945    927     936
 
2018    957     909     933

अगस्त 2018 में गिरावट सर्वाधिक

महीने     शासकीय    निजी
 
फरवरी    933     898
 
अप्रैल     976     899
 
जून      973    842
 
अगस्त     942     913
 
सितंबर    1003     884
 
अक्टूबर     1001     852


 

महीने के हिसाब से सेक्स रेशो में बदलाव आता है लेकिन प्राइवेट हॉस्पिटल से ऐसा ट्रेंड क्यों आया हम पहले इसका पता लगा रहे हैं। आंकड़ों का संकलन सही हुआ है या नहीं और कही कोई त्रुटि तो नहीं हुई इसका परीक्षण हो जाए, फिर अगला एक्शन लेंगे। -लोकेश जाटव, कलेक्टर

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