दीपेश शर्मा, इंदौर . इंदौर के निजी अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों का जन्म के समय लिंगानुपात हर महीने बदल रहा है। 2018 के छह महीने तो यह लगातार कम होता गया। इसका मतलब हुआ कि 1000 बेटों की तुलना में बेटियों का जन्म कम हुआ। दूसरी तरफ शासकीय अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों का जन्म के समय लिंगानुपात में ज्यादा फर्क नहीं आ रहा है।
2018 के 12 महीने का रिकॉर्ड देखने के बाद पीसीपीएनडीटी सेल और प्रशासन के अधिकारी इस अनोखे ट्रेंड से हैरान हैं। निजी अस्पतालों में ऐसा क्या हो रहा है इसे पता लगाने के लिए कलेक्टर ने फिर से आंकड़े चेक कर तह तक जाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही जिन 27 अस्पतालों में जन्म के समय लिंगानुपात सबसे कम रहा, उन्हें नोटिस जारी कर कारण पूछा गया है। बता दें कि गिरते लिंगानुपात के पीछे सबसे बड़ा कारण गर्भ में ही भ्रूण की लिंग जांच व लिंग आधारित गर्भपात होना पाया जाता है।
शासकीय अस्पताल में बेटियां ज्यादा जन्मी, प्राइवेट अस्पताल में क्यों नहीं : निजी अस्पतालों में बच्चों का जन्म के समय का लिंगानुपात 950 से ऊपर कभी नहीं गया जबकि शासकीय अस्पतालों में यह बढ़ते-बढ़ते 1003 तक पहुंचा। करीब 163 अस्पतालों की जानकारी पीसीपीएनडीटी सेल के पास एकत्र हुई है। इनमें 132 के लगभग निजी अस्पताल हैं। पीसीपीएनडीटी सेल के अधिकारियों ने आंकड़ों का एनालिसिस कर 27 अस्पतालों की छंटनी की जहां लिंगानुपात 787 से लेकर 167 तक पहुंच गया है।
महिला डॉक्टरों की टीम से भी लिया अभिमत : एडीएम कैलाश वानखेड़े ने बताया पिछले दिनों कलेक्टर कार्यालय में हुई एडवाइजरी कमेटी की बैठक में पीसीपीएनडीटी सेल के अधिकारियों के साथ इस बदलते ट्रेंड पर चर्चा हुई है। इसमें मेडिकल कॉलेज की डॉ. सुमित्रा यादव के साथ ही अन्य महिला डॉक्टरों से भी इस ट्रेंड को लेकर अभिमत लिया गया कि क्या ऐसा संभव है या नहीं। हम प्रारंभिक तौर पर यह भी पता लगा रहे हैं कि कहीं निजी अस्पतालों से आंकड़ों के संकलन में कोई भूलचूक तो नहीं हुई।
पहली बार ऐसा ट्रेंड सामने आया : म.प्र. वॉलेट्री हेल्थ एसोसिएशन के डायरेक्टर मुकेश सिन्हा ने बताया ऐसा ट्रेंड पहली बार देखने में आ रहा है। शासकीय अस्पतालों में लिंगानुपात सही पाया जा रहा है लेकिन निजी अस्पतालों के इस ट्रेंड पर गहन अध्ययन किया जा रहा है। सभी इसे लेकर आश्चर्य में है कि ऐसा सिर्फ निजी अस्पतालों में क्यों हो रहा है।
डॉक्टर बोले : यह तो शासन पता लगाए, हम तो डिलेवरी करवाते हैं हमारे यहां तो पेशेंट डिलीवरी के लिए आती हैं, सोनोग्राफी हम करते नहीं इसलिए हमारे हाथ में कुछ नहीं। यह तो प्रशासन पता लगाए।
-डॉ. रमेश नाग्रत, पुष्पकुंज हॉस्पिटल
लिंग परीक्षण को लेकर इतनी सख्ती है कि कोई नहीं बता सकता गर्भस्थ शिशु मेल है या फीमेल। यह तो कुदरतन हो रहा है, हम कैसे तय कर सकते हैं। -डॉ. मनीष जैन, एसएनएस हॉस्पिटल
हमारे यहां तो ज्यादातर डिलेवरी आईवीएफ की होती है, जिससे नि:संतान दंपती को सालों बाद इशु होता है। हम कैसे बता सकते हैं यह कैसे हो रहा है। -डॉ. धीरेंद्र जैन, डॉल्फिन हॉस्पिटल
हम कैसे बता सकते हैं यह अंतर कैसे और क्यों आ रहा है, हमारे हाथ में तो है नहीं। -डॉ. ज्योति तिवारी, ज्योति हॉस्पिटल
हमने तो सालों पहले सोनोग्राफी बंद कर दी थी, हम इस बारे में कुछ नहीं बता सकते कि यह अंतर क्यों आ रहा है। -डॉ. असलम चरा, लाइफ लाइन हाॅस्पिटल
इन पांच अस्पतालों का लिंगानुपात कम
अस्पताल | बेटे | बेटियां | कुल | जन्म के समय लिंगानुपात |
पुष्पकुंज हॉस्पिटल | 171 | 127 | 298 | 743 |
एसएनएस हॉस्पिटल | 150 | 113 | 263 | 753 |
डॉल्फिन हॉस्पिटल | 169 | 132 | 301 | 781 |
ज्योति हॉस्पिटल | 193 | 151 | 344 | 782 |
लाइफ लाइन हॉस्पिटल | 122 | 96 | 218 | 787 |
दो सालों में यूं घटा लिंगानुपात
लिंगानुपात | शासकीय | निजी | कुल |
2017 | 945 | 927 | 936 |
2018 | 957 | 909 | 933 |
अगस्त 2018 में गिरावट सर्वाधिक
महीने | शासकीय | निजी |
फरवरी | 933 | 898 |
अप्रैल | 976 | 899 |
जून | 973 | 842 |
अगस्त | 942 | 913 |
सितंबर | 1003 | 884 |
अक्टूबर | 1001 | 852 |
महीने के हिसाब से सेक्स रेशो में बदलाव आता है लेकिन प्राइवेट हॉस्पिटल से ऐसा ट्रेंड क्यों आया हम पहले इसका पता लगा रहे हैं। आंकड़ों का संकलन सही हुआ है या नहीं और कही कोई त्रुटि तो नहीं हुई इसका परीक्षण हो जाए, फिर अगला एक्शन लेंगे। -लोकेश जाटव, कलेक्टर
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