मध्यस्थता की बातचीत फैजाबाद में होगी, पैनल की अध्यक्षता जस्टिस खलीफुल्ला करेंगे
मध्यस्थता पैनल में श्री श्री रविशंकर और वकील श्रीराम पंचू भी शामिल
चीफ जस्टिस ने कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय रहे, इस पर कोर्ट की नजर रहेगी
नई दिल्ली. अयोध्या विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्यस्थों को सौंप दिया। मध्यस्थता की बातचीत फैजाबाद में होगी। जस्टिस खलीफुल्ला मध्यस्थता पैनल की अध्यक्षता करेंगे। इस पैनल में श्री श्री रविशंकर और वकील श्रीराम पंचू भी होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैनल 4 हफ्ते में मध्यस्थता के जरिए विवाद निपटाने की प्रक्रिया शुरू करे। 8 हफ्ते में यह प्रक्रिया खत्म हो जानी चाहिए।
'पूरी प्रक्रिया गोपनीय होगी'
'अतीत पर नियंत्रण नहीं'
पिछली सुनवाई में जस्टिस बोबडे ने कहा था, ‘‘हमने इतिहास पढ़ा है। हम इतिहास जानते हैं। अतीत में जो हो चुका है, उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। उन्होंने कहा कि एक बार मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू होने के बाद इसकी रिपोर्टिंग नहीं की जानी चाहिए।’’ जबकि जस्टिस चंद्रचूड़ का मानना था कि एक बार मध्यस्थता शुरू हो जाती है तो इसके बाद हम किसी चीज को बांध नहीं सकते। संविधान पीठ ने सभी पक्षकारों से मध्यस्थता पैनल के लिए नाम देने के लिए कहा था ताकि जल्द ही आदेश निकाला जा सके। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर पांच जजों की बेंच में सुनवाई चल रही है। बेंच में पांच जज- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
हिंदू महासभा ने सुझाए थे 3 नाम
इससे पहले 26 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपनी निगरानी में मध्यस्थ के जरिए विवाद का समाधान निकालने पर सहमति जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि एक फीसदी गुंजाइश होने पर भी मध्यस्थ के जरिए मामला सुलझाने की कोशिश होनी चाहिए। अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट को बुधवार को ही तीन नाम सुझाए थे। इसमें पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जेएस खेहर और पूर्व जस्टिस एके पटनायक के नाम दिए गए।
बाबर ने जो किया, उसे बदला नहीं जा सकता- जस्टिस बोबडे
बुधवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, ‘‘यह दिमाग, दिल और रिश्तों को सुधारने का प्रयास है। हम मामले की गंभीरता को लेकर सचेत हैं। हम जानते हैं कि इसका क्या असर होगा। हम इतिहास भी जानते हैं। हम आपको बताना चाह रहे हैं कि बाबर ने जो किया उस पर हमारा नियंत्रण नहीं था। उसे कोई बदल नहीं सकता। हमारी चिंता केवल विवाद को सुलझाने की है। इसे हम जरूर सुलझा सकते हैं।’’
14 अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर हो रही है। अदालत ने सुनवाई में केंद्र की उस याचिका को भी शामिल किया है, जिसमें सरकार ने गैर विवादित जमीन को उनके मालिकों को लौटाने की मांग की है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9 साल पहले फैसला सुनाया था
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