जोधपुर. बाड़मेर के बालोतरा में टेक्सटाइल इंडस्ट्री से लूणी नदी को हुए नुकसान के केस में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार पर 30 करोड़ का जुर्माना लगाया है। साथ ही कहा कि जब तक एनजीटी की ओर से नियुक्त कमिश्नरों की ओर से गिनाई कमियां पूरी नहीं होती है तब तक बालोतरा की इंडस्ट्री को बंद रखा जाए।
एनजीटी ने बालोतरा, बिठूजा और जसाेल की टेक्सटाइल इंडस्ट्री को लूणी नदी के पॉल्यूशन का सबसे बड़ा कारण मानते हुए जुर्माना लगाया गया है। बुधवार को दिल्ली में हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस राघवेंद्र एस राठौड़ ने निर्णय सुनाया कि लूणी नदी के प्रदूषण युक्त होने में सबसे बड़ा कारण टेक्सटाइल इंडस्ट्री है। एनजीटी के निर्णय में सबसे अहम है कि अब तक टेक्सटाइल इंडस्ट्री के कारण लूणी नदी को जो नुकसान हुआ है, उसके लिए राज्य सरकार पर 30 करोड़ का जुर्माना लगाया है। यह राशि सरकार को एक माह के भीतर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में जमा करवाने के निर्देश दिए है।
मामले को लेकर राज्य सरकार क्या कदम उठा रही है और टाइम बाउंड एक्शन प्लान मांगा है। सरकार एक्शन प्लान तैयार कर कैसे नदी मे प्रदूषण को रोकने पर काम करेगी, इसके लिए 10 करोड़ की गारंटी राशि भी देने के निर्देश दिए है।
कई अहम निर्णय लिए
{सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, ताकि निगरानी हो सकें।
{पौंड कम उपयोगी है, नवीन तकनीकी से ट्रीटमेंट हो इनका।
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