कैलिफोर्निया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पॉलिसी की वजह से अमेरिका और चीन के बीच पिछले साल ट्रेड वॉर छिड़ा था। ट्रम्प ने चीन से आयात होने वाले 250 अरब डॉलर (करीब 18 लाख करोड़ रुपए) के आयात पर शुल्क लगा दिया। इससे किसान से लेकर बड़ी कंपनियां तक प्रभावित हुईं। लेकिन आईफोन बनाने वाली एपल ने खुद को इससे काफी हद तक बचा लिया।
यह सही है कि एपल के प्रोडक्ट की बिक्री घटी और उसे चौथी तिमाही में रेवेन्यू का अनुमान भी कम करना पड़ा। लेकिन अगर ट्रेड वॉर का सीधा असर पड़ा होता हो कंपनी की स्थिति काफी खराब हो सकती थी।
एपल को इस संकट से बाहर निकालने का श्रेय कंपनी के सीईओ टिम कुक को जाता है। कुक ने पिछले कुछ महीनों में इसके लिए कई मोर्चों पर मेहनत की।
ट्रम्प की अप्रवासी नीति और अल्पसंख्य समुदाय पर की गई टिप्पणियों के कारण आम तौर पर उदारवादी मानी जाने वाली अमेरिकी कंपनियों के प्रमुखों ने उनसे किनारा कर लिया था। लेकिन, कुक इस लाइन पर नहीं चले। उन्होंने व्हाइट हाउस के साथ हर संभव गतिविधि में शामिल होने के मौकों को भुनाया।
अमेरिकी वाणिज्य विभाग के पूर्व अधिकारी जेम्स लेविस कहते हैं, 'ट्रम्प जब राष्ट्रपति पद के लिए अभियान चला रहे थे तो ज्यादातर कंपनियों की तरह एपल के संबंध भी उनसे अच्छे नहीं थे। लेकिन चुनाव के बाद कुक ने कंपनी की अप्रोच को बदला। वे पिछले साल अप्रैल में ट्रम्प के साथ व्यापारिक मुद्दों पर बात करने गए। इसके बाद वे ट्रम्प के गोल्फ कोर्स पर डिनर पर भी गए।
ट्रम्प की बेटी इवांका जब इडाहो स्थित एक स्कूल में शिक्षा में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर भाषण देने गईं तो वहां भी कुक साथ गए। एपल को इसका सीधा फायदा यह हुआ कि ट्रम्प प्रशासन ने स्मार्टवॉच और ब्लूटूथ स्पीकर को आयात शुल्क वाली सूची से बाहर रखा।
ट्रम्प प्रशासन से संबंध अच्छे करने के साथ कुक ने चाइनीज अधिकारियों को भी एपल के खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठाने के लिए मना लिया। ट्रेड वॉर शुरू होने पर चीन में कई अमेरिकी प्रोडक्ट को लेकर कस्टम की प्रक्रिया धीमी कर दी गई। लेकिन एपल के साथ ऐसा नहीं हुआ।
कुक चाइनीज अधिकारियों से मंडारिन में भी बात करते थे। एपल के चीन में 10 हजार कर्मचारी हैं। अगर वहां मौजूद एपल के सप्लाई चेन को भी शामिल करें तो करीब 30 लाख चीनियों को एपल की वजह से रोजगार मिला हुआ है।
अमेरिका और चीन के बीच 8 महीने से चल रहा ट्रेड वॉर इस महीने खत्म हो सकता है। कई हफ्ते चली बातचीत के बाद अमेरिका चीन पर लगाए ज्यादातर प्रतिबंध हटा सकता है। सूत्रों के अनुसार बदले में चीन अमेरिका से ज्यादा सामान खरीदने पर राजी हुआ है। वह अमेरिका से कृषि उत्पाद, केमिकल, ऑटोमोबाइल जैसी वस्तुओं के आयात पर शुल्क घटाएगा।
अब सिर्फ यह तय होना है कि अमेरिकी प्रतिबंध तत्काल हटाए जाएं या एक-एक करके। अमेरिका देखना चाहता है कि चीन समझौते की शर्तों का कितना पालन करता है। अमेरिका ने शर्त रखी है कि चीन उसके खिलाफ डब्लूटीओ में आवाज नहीं उठाएगा।
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