जबलपुर . पाकिस्तान में आतंकी अड्डे पर भारत की वायुसेना के हमले के बाद पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद अश्विनी कुमार काछी के गांव खुड़ावल में उसकी बहादुरी के चर्चे हैं। जैसे ही मंगलवार सुबह भारतीय वायुसेना के विमानों से बमों की बारिश की खबर आई, पूरा गांव चौपाल पर इकट्ठा हो गया। दिनभर शहीद अश्विनी कुमार की शहादत और वायुसेना के ऑपरेशन की चर्चा रही। हर एक चेहरे पर सुकून नजर आया।
पाकिस्तान में आतंकी अड्डे पर हमले की खबर के बाद शहीद अश्विनी के माता-पिता ने कहा कि आज कलेजे को ठंडक मिली। मां कौशल्या ने कहा कि आज खुशी का दिन है। मेरे बेटों ने अपने भाई की शहादत का बदला दुश्मन के घर में घुसकर लिया है। गांव के लोगों का भी कहना है कि आतंकी अड्डे पर हमले से हर व्यक्ति खुश है।
पिता ने कहा- इसी दिन का इंतजार था : शहीद अश्विनी कुमार के पिता सुकरू काछी ने कहा- ‘इसी दिन का इंतजार था। अब जाकर कलेजे को ठंडक मिली।’ उन्होंने कहा- ‘मेरा बेटा तो वापस आने वाला नहीं है, लेकिन देश और सेना के जवानों का मस्तक आज गर्व से ऊंचा हो गया होगा।’
इसी बैग के साथ जवानों की जिंदगी सफर करती है : शहादत के 12 दिन बाद अश्विनी का सामान घर लौटा। सीआरपीएफ का एक जवान बैग में शहीद के कपड़े, मोबाइल व किताबें लेकर पहुंचा। आंगन में पूरा परिवार उसे घेरकर बैठ गया। जैसे ही अश्विनी की शर्ट निकाली गई, मां फफक पड़ी।
बहन पार्वती ने उन्हें संभालने की कोशिश जरूर की, लेकिन खुद भी आंसू नहीं संभाल पाई। जैसे-जैसे अश्विनी का सामना बैग से बाहर आता रहा, परिजनों की आंखों से आंसू टपकते रहे। जवानों का जीवन देश के लिए कितना समर्पित होता है, वह अश्विनी के बैग को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है।
एक मोबाइल, आधार और पैनकार्ड, एक चादर, एक टीशर्ट-पेंट, सेविंग किट पहनावे के नाम पर बस इतने ही कपड़े निकले। कुछ दस्तावेज, नाेटबुक, रेनकोट और टिफन बॉक्स। बैग लेकर पहुंचे जवान ने यह भी बताया कि जवानों की जिंदगी इसी बैग के साथ एक मोर्चे से दूसरे मोर्चे तक सफर करती है।
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