नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (सीएपीएफ) की 100 अतिरिक्त कंपनियां यानी करीब 10 हजार जवान तैनात होंगे। गृह मंत्रालय ने शनिवार को इसके लिए सर्कुलर जारी किया। सीआरपीएफ को तत्काल प्रभाव से इन कंपनियों को तैनात करने की जिम्मेदारी दी गई है। यहां पुलिस और अर्ध सैन्य बलों हाई अलर्ट पर रखा गया है। यासीन मलिक और अब्दुल हमीद फयाज समेत अलगाववादी संगठनों के करीब 150 नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में भी लिया गया। इसबीच, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के स्टाफ की शीतकालीन छुट्टियां भी रद्द कर दी गईं। उन्हें हर हालत में सोमवार तक काम पर लौटने के आदेश दिए गए हैं।
राज्य के खाद्य आपूर्ति विभाग ने भी सरकारी राशन की दुकानों में पर्याप्त राशन का स्टॉक रखने के निर्देश दिए हैं। ये दुकानें रविवार को भी खुली रहेंगी। इस तरह के सरकारी आदेश जारी होने से स्थानीय लोग रोजमर्रा इस्तेमाल की चीजों को जमा करने लगे हैं। किराना दुकानों पर सामान खरीदने वालों की भीड़ लगी रही। पेट्रोल पंपों पर भी वाहनों की लंबी कतारें नजर आईं। शुक्रवार रात 1.30 बजे तक लगातार लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने की आवाजें सुनाई दीं। हालांकि, वायुसेना के अधिकारियों ने इसे नियमित अभ्यास का हिस्सा बताया है।
10 हजार जवान एयरलिफ्ट किए जाएंगे
जवान राज्य में अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती का यह सर्कुलर गृहमंत्रालय की ओर से शुक्रवार शाम को जारी किया गया। इसमें सीआरपीएफ की 45, बीएसएफ की 35 और एसएसबी व आईटीबीपी की 10-10 कंपनियां शामिल होंगी। आमतौर पर एक पैरामिलिट्री कंपनी में 80 से 150 जवान होते हैं। इस तरह से 100 कंपनियों में करीब 10 हजार जवान होंगे। पुलवामा में हुए सीआरपीएफ काफिले पर हमले को देखते हुए इन जवानों को एयरलिफ्ट कर श्रीनगर भेजा जाएगा।
जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ के 65 हजार जवान
जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ के 65 हजार जवान पहले से तैनात हैं। इसके साथ ही राज्य में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल (सीआईएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की भी टुकड़ियां तैनात हैं।
अलगाववादियों पर तेज हुई कार्रवाई
पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले के बाद से केंद्र और राज्य सरकार, अलगाववादियों के खिलाफ कड़ा रुख अपना रही हैं। अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा हटाने के बाद अब उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35A की सुनवाई से पहले जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चेयरमैन यासीन मलिक और जमात-ए-इस्लामी संगठन के मुखिया अब्दुल हमीद फयाज और उसके करीब 150 सदस्यों को हिरासत में लिया गया। जमात-ए-इस्लामी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन की राजनीतिक शाखा मानी जाती थी। हालांकि, उसने हमेशा खुद को धार्मिक और सामाजिक संगठन ही बताया है।
महबूबा अलगाववादियों के समर्थन में
महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट कर अलगाववादियों का समर्थन किया है। उन्होंने लिखा है, ‘‘पिछले 24 घंटे में कई हुर्रियत नेताओं और जमात संगठन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। इस तरह के एकतरफा कदम समझ से परे हैं, यह केवल मुद्दे को भड़काने का काम करेंगे। किस आधार पर इन लोगों की गिरफ्तारी की गई? आप केवल एक व्यक्ति को जेल में डाल सकते हैं, उसके विचारों को नहीं।’’
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