नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कुंभ में विदेशों से शामिल होने आए लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कुंभ में हर दिन यूरोप के किसी देश की आबादी जितने लोग जुटते हैं, इस पर मैनेजमेंट के छात्र बाकायदा केस स्टडी कर सकते हैं। यह एक ऐसी व्यवस्था जो सबको समेट रही है, सबको संतुष्ट कर रही है सबका प्रबंधन कर रही है।
'देश-दुनिया के तीर्थयात्री यहां पहुंचते हैं'
मोदी ने कहा, ‘‘किसी भी चिट्ठी-पत्री के बिना हजारों साल से फिर भी मां गंगा के चरणों में देश-दुनिया के तीर्थ यात्री पहुंचते हैं। आपको कुंभ छू गया है। आपको पता हो कि यह पूर्ण कुंभ नहीं है। जब पूर्ण कुंभ लगता होगा तो आप उसकी ताकत का अंदाजा लगा सकते हैं। इस समागम का आध्यात्मिक महत्व तो है ही, इसका सोशल रीफॉर्मेशन में भी महत्व है। यह एक तरह से पुरातन काल से चली आ रही पंचायत है। इसमें हर 12 साल का रिव्यू करके यह तय किया जाता था कि समाज में किस तरह के बदलाव की जरूरत है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, "‘हर तीन साल में उसका रिव्यू होता था। आपने इस बार भी देखा होगा कि कुंभ में सर्वसामान्य की भलाई के लिए संदेश था। भारत पर्यटन का एक स्थान इसलिए बनने जा रहा है क्योंकि विश्व शांति की तलाश में है। व्यक्ति के जीवन की आपाधापी से भी वह कुछ पल अपने लिए बिताना चाहता है। धन-वैभव समृद्धि उसे प्रभावित तो करती हैं लेकिन प्रेरित नहीं करतीं। भौतिक संपदा की कमी के बावजूद भी अंतरमन को कैसे तलाशा जाता होगा यह आपने कुंभ में महसूस किया होगा।’’
मोदी के मुताबिक, "यह अद्भुत मिलन का कार्यक्रम आज दुनिया के लोगों ने देखा है। आपने हमारे इस प्रयास को सफल बनाने में योगदान दिया है। हम आपके आभारी हैं। मैं आपको धन्यवाद देता हूं। भारत की जो सांस्कृतिक विरासत है उसमें विश्व को आकर्षित करने का अद्भुत सामर्थ्य है। हम विश्व को भारत की इस महान विरासत से जोड़ना चाहते हैं।’’
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