बिलासपुर. एनआईए ने झीरम मामले की जांच के दौरान मिली जानकारी के आधार पर नक्सलियों के टॉप लीडर गणपति और रमन्ना को मुख्य आरोपी माना था। दोनों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज भी किया गया। दोनों की गिरफ्तारी नहीं होने पर संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन एनआईए की चार्जशीट में इन दोनों के नाम ही हटा दिए गए।
झीरम मामले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने बुधवार को बताया कि एनआईए ने शुरुआती जांच में मिली जानकारी के आधार पर नक्सलियों के टॉप लीडर गणपति और रमन्ना को भी मुख्य आरोपी मानकर जांच शुरू की गई।
उनके सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 341, 147, 158, 149, 302, 307, 395, 396, 427, 120 बी, आर्म्स एक्ट की धारा 25 व 27, विस्फोटक सामग्री पदार्थ अधिनियम की धारा 38(2) 39(2) व विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई गई।
गणपति और रमन्ना की गिरफ्तारी नहीं होने पर वारंट जारी करते हुए उपस्थित होने कहा गया। दोनों के उपस्थित नहीं होने पर एनआईए की विशेष कोर्ट ने अगस्त 2014 को एनआईए के एसपी को उनके निवास स्थान के जिले में उनकी कोई भी अचल संपत्ति हो तो उसे कुर्क करने का आदेश दिया था।
जांच पूरी होने के बाद एनआईए ने चार्जशीट व पूरक चार्जशीट प्रस्तुत की थी, लेकिन इसमें गणपति और रमन्ना के नाम शामिल नहीं थे। वहीं, तत्कालीन मुख्यमंत्री ने विधानसभा में मामले की सीबीआई जांच की घोषणा की थी।
इस तारतम्य में केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया था। कार्मिक मंत्रालय ने दो साल पहले एनआईए जांच का हवाला देते हुए सीबीआई जांच से इनकार करते हुए राज्य के पूर्व मुख्य सचिव को पत्र लिखा था, लेकिन सरकार ने इसे सार्वजनिक नहीं किया।
कांग्रेस के अधिवक्ता ने एनआईए के केस डायरी नहीं लौटाने के खिलाफ कोर्ट जाने के विकल्प पर विचार करने की जानकारी दी है। 25 मई 2013को झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सलियों ने हमला किया था।
इस दौरान पीसीसी के तत्कालीन अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, वरिष्ठ कांग्रेस विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा सहित 29 लोगों की हत्या कर दी गई थी। कई कांग्रेसी, सुरक्षाकर्मी व आम नागरिक घायल हुए थे। मामले की एनआईए ने जांच की। चार्जशीट व पूरक चार्जशीट भी प्रस्तुत किया गया।
किदाती ज्योति, मुक्का मंडावी, आयता मरकाम, कोसा बंजामी, देवा मडकमी, कवासी कोसा, चैतू लेकम, महादेव नाग, कोसा कवासी उर्फ कोसा राम ये सभी गिरफ्तार किए गए थे। इसके साथ ही 31 अन्य आरोपियों के नाम चार्जशीट में शामिल थे, लेकिन गणपति और रमन्ना के नाम नहीं थे।
कांग्रेस ने तत्कालीन राज्य सरकार से झीरम मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी। मृतकों के परिजन भी सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने विधानसभा में जांच की घोषणा की थी। 29 मार्च 2016 को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर जांच करवाने का आग्रह किया गया।
कार्मिक मंत्रालय के अवर सचिव एसपीआर त्रिपाठी ने इसके जवाब में प्रदेश के मुख्य सचिव को 13 दिसंबर 2016 को पत्र लिखा था। कहा था कि मामले पर एनआईए की जांच पूरी हो चुकी है। गृह मंत्रालय व सीबीआई से विचार विमर्श के बाद मामले की जांच नहीं करवाने का निर्णय लिया गया है।
कांग्रेस के अधिवक्ता का आरोप है कि तत्कालीन राज्य सरकार ने इस जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया। जानकारी नहीं होने के कारण पीसीसी के तत्कालीन अध्यक्ष व मुख्यमंत्री भूपेश ने जनवरी 2018 को राज्य सरकार को पत्र लिखकर सीबीआई जांच पर वस्तुस्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया था।
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