स्टार रेटिंग | 4/5 |
स्टारकास्ट | रणवीर सिंह, आलिया भट्ट, विजय राज |
डायरेक्टर | जोया अख्तर |
प्रोड्यूसर | जोया अख्तर,रितेश सिधवानी और फरहान अख्तर |
जॉनर | ड्रामा |
बॉलीवुड डेस्क. गली ब्वॉय के रूप में डायरेक्टर जोया अख्तर यंगस्टर्स के हिसाब से एक बेहतरीन इमोशनल और इंस्पायरिंग स्टोरी लेकर आई हैं। यह कहानी मुराद (रणवीर सिंह) की है जो मुंबई के धारावी इलाके की झोपड़पट्टी में अपनी जिंदगी जी रहा है।
यह रैप आर्टिस्ट्स नैजी और डिवाइन की जिंदगी से प्रेरित सच्ची कहानी है जो धारावी की तंग गलियों से निकलकर रैपर बनने के सपने को साकार कर जाते हैं। फिल्म की शुरुआत में दिखाया जाता है कि मुराद अपने डॉमिनेटिंग और रुढ़िवादी पिता (विजय राज) और बीमार मां (अमृता सुभाष) के साथ गरीबी की जिंदगी बिता रहा है। मां और पिता हमेशा झगड़ते रहते हैं और जिंदगी तंगहाली में ही गुजर रही है जिससे मुराद खुश नहीं है।
वह अपने पिता के बताए रास्ते की बजाए कुछ अलग करना चाहता है और रैपर बनना चाहता है। इस अर्थ हीन जिंदगी में उसके लिए केवल एक ही सुकून भरी चीज है और वह है उसके बचपन का प्यार सैफीना (आलिया भट्ट)। सैफीना सर्जन बनने की पढ़ाई कर रही है। वह भी एक रुढ़िवादी परिवार से है जिसे आम लड़कियों की तरह घूमने-फिरने की आजादी नहीं है लेकिन इसके बावजूद वह मुराद के साथ कुछ सुकून भरे पल बिताने के मौके ढूंढ लेती है।
मुराद की जिंदगी में तब बदलाव आने शुरू होते हैं जब उसकी मुलाकात एमसी शेर (सिद्धांत चतुर्वेदी) से होती है। एमसी मुराद के अंदर छुपे टैलेंट को पहचान लेता है और उसके अंदर रैपर बनने के सपने को हकीकत में बदलने का जोश भरता है।
सैफीना और मुराद की स्ट्रगलिंग लाइफ के साथ जोया ने बेहतरीन कहानी चुनी है जिसका हर सीन इतना बेहतरीन है कि आप आसानी से फिल्म का हिस्सा बनते चले जाते हैं और उसे अपने अंदर महसूस करने लग जाते हैं। मुराद की हार में आपको अपनी हार और फिर उसकी सक्सेस में आप खुद को देखने लग जाते हैं।
विजय मौर्या द्वारा लिखे डायलॉग परफेक्ट हैं। वहीं जोया और रीमा कागती द्वारा लिखा गया स्क्रीनप्ले भी प्रभावशाली है। जोया के कसे हुए निर्देशन और कहानी के दम पर रणवीर-आलिया भी अपने अब तक के करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते नजर आते हैं। दोनों की केमिस्ट्री भी उम्दा है।
फिल्म से डेब्यू कर रहे सिद्धांत चतुर्वेदी की स्क्रीन प्रेजेंस अच्छी है।जोया ने स्टारकास्ट के चयन में सावधानी बरती है। विजय राज(मुराद के पिता), विजय वर्मा (मुराद के दोस्त मोइन) और सैफीना चड्ढा (सैफीना की मां)के रोल में सबकी एक्टिंग अच्छी है लेकिन रणवीर की मां के रोल में अमृता सुभाष फीकी नजर आती हैं। साथ ही कल्कि कोच्लिन भी अपने किरदार में फिट नहीं बैठती हैं।
फिल्म का म्यूजिक एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी है और रैप बैटल के कुछ सीन्स का म्यूजिक तो कमाल है हालांकि फिल्म काफी लंबी है। ढाई घंटे से ज्यादा की लंबाई को कुछ कम किया जाता तो फिल्म और अच्छी हो जाती। कुल मिलाकर कहा जाए तो फिल्म देखने लायक है।
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