रिलिजन डेस्क. लेह से 25 किमी पहले गुरुद्वारा पत्थर साहिब जम्मू कश्मीर का बेहद दिलचस्प टूरिस्ट स्पॉट है। दिलचस्प इसलिए क्योंकि इस जगह से एक ऐसी कहानी जुड़ी है जिसे जानकर यहां आने वाला हर शख्स हैरान हो जाता है। श्रीनगर से लेह के बीच स्थित इस गुरुद्वारे में हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं।
बताया जाता है कि गुरुनानक देव जी 1517 ई में सुमेर पर्वत पर अपना उपदेश देने के बाद नेपाल, सिक्किम, तिब्बत होते हुए लेह पहुंचे थे।
जब पत्थर गुरुनानक देव जी से टकराया तो राक्षस को लगा कि गुरूजी पत्थर के नीचे दबे हैं।
बताया जाता है कि लम्बे समय तक यह पत्थर विलुप्त हो गया था।
श्रीनगर से लेह और मनाली से लेह, दोनों रूट भारी बर्फबारी के कारण हर साल नवंबर से मई तक बंद रहता है। ये जून से अक्टूबर तक खुला रहता है। हालांकि, हवाई मार्ग से किसी भी महीने लेह पहुंचा जा सकता है। सर्दियों में यहां का तापमान -20 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा जाता है।
सड़क के रास्ते: श्रीनगर-लेह रूट पर यह गुरुद्वारा पड़ता है। यह लेह से 25 किलोमीटर पहले है। श्रीनगर से टैक्सी, बस या पर्सनल कार से यहां पहुंचा जा सकता है। श्रीनगर से लेह की दूरी 415 किलोमीटर है।
हवाई मार्ग: यह 10,682 फीटर की ऊंचाई पर है। माउंटेन विंड्स की वजह से यहां सिर्फ सुबह के समय ही फ्लाइट टेकऑफ और लैंड करती हैं। दिल्ली, जम्मू और श्रीनगर से यहां के लिए हर दिन नॉन स्टॉप फ्लाइट हैं। श्रीनगर से ये दूरी 55 मिनट, जम्मू से 1 घंटा 5 मिनट और दिल्ली से 1 घंटा 25 मिनट है।
टाइमिंग: सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक
पता: लेह- कारगिल रोड़, रोपड़, लेह जम्मू एंड कश्मीर
फोन: 0194- 2472449
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