मुंबई. रिजर्व बैंक की पिछले महीने घोषित रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम का करीब सात लाख एमएसएमई को फायदा मिलेगा। इनके करीब एक लाख करोड़ रुपए के कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग में मदद मिलेगी। वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार ने यह अनुमान जताया है।
सरकारी आंकड़ा घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुमान से काफी अधिक है। इक्रा ने एमएसएमई के 10,000 करोड़ रुपए के कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग होने का अनुमान व्यक्त किया था।
राजीव कुमार ने कहा कि सात लाख छोटी और मध्यम आकार की इकाइयों (एमएसएमई) के कर्ज के रिस्ट्रक्चरिंग की जरूरत है। स्कीम के तहत मार्च 2020 तक एक लाख करोड़ रुपए के कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग की जा सकती है। योजना से अतिरिक्त संसाधनों को मुक्त करने में मदद मिलेगी। मांग बढ़ेगी और उद्योग में नए अवसर पैदा होंगे।
दूसरी तरफ, विश्लेषकों ने आरबीआई के इस कदम को पीछे जाने वाला कदम बताया है। उनका कहना है कि केंद्रीय बैंक ने कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग आधिकारिक तौर पर बंद कर दी थी। इसे बैंकों के एनपीए तेजी से बढ़ने के लिए एक प्रमुख कारण माना गया है।
हालांकि, बैंकरों का कहना है कि एमएसएमई इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आगे आने से कतरा रहे हैं। निजी क्षेत्र के एक बैंक के प्रमुख ने कहा कि रिस्ट्रक्चरिंग से बेशक कर्ज स्टैंडर्ड बना रहेगा। लेकिन इससे कर्ज लेने वाले की क्रेडिट हिस्ट्री प्रभावित होगी। यह बाद में कभी भी उन कारोबारियों के लिए परेशानी की वजह बन सकती है।
इस स्कीम के तहत छोटी कंपनियां 25 करोड़ रुपए तक के कर्ज की एक बार रिस्ट्रक्चरिंग करा सकती हैं। उनके कर्ज को एनपीए घोषित न कर, कर्ज की अवधि और ब्याज दर में संशोधन किया जाएगा। रिजर्व बैंक ने 1 जनवरी को यह स्कीम घोषित की थी केंद्रीय बैंक के बोर्ड ने 19 नवंबर को इसकी सिफारिश की थी।
25 करोड़ रुपए से कम वाले कर्ज की राशि 13 लाख करोड़ रुपए है। इनमें बैंकों के कर्ज 10 लाख करोड़ और एनबीएफसी के 3 लाख करोड़ के हैं। 90 दिन तक ईएमआई नहीं मिलने पर बैंक कर्ज को एनपीए मानते हैं। छोटी कंपनियों के लिए यह समय-सीमा 180 दिन है।
रिस्ट्रक्चरिंग से मझोली कंपनियों को सबसे ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि 10 से 25 करोड़ तक कर्ज वाली कंपनियां अधिक परेशानी में हैं। जून 2018 में माइक्रो कंपनियों का एनपीए 8.7%, छोटी कंपनियों का 11.5% और मझोली कंपनियों का 14.5% पहुंच गया था।
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