इंदौर . संदीप तेल हत्याकांड के साजिशकर्ता रोहित सेठी के बीमा नगर स्थित बंगले का अवैध निर्माण शुक्रवार को नहीं तोड़ा जा सका। पलासिया थाने में तीन थानों की पुलिस नगर निगम के अमले का इंतजार करती रही, लेकिन टीम पहुंची ही नहीं। हालांकि निगम ने कार्रवाई की तैयारी एक दिन पहले ही कर ली थी। 16 जनवरी को संदीप तेल की हत्या हुई थी।
गैंगस्टर सुधाकर राव मराठा, शूटर अविनाश उर्फ टारजन सहित अन्य के पकड़े जाने पर हत्या का षड्यंत्र एसआर केबल के मालिक रोहित सेठी द्वारा रचे जाने की बात सामने आई। पुलिस ने उसे भी आरोपी बना दिया। इनाम घोषित होने के बाद भी रोहित ने सरेंडर नहीं किया तो पुलिस ने शिकंजा कसने के लिए उसके बीमा नगर स्थित घर के अवैध निर्माण की नगर निगम से जानकारी मांगी।
सेठी द्वारा घर पर अवैध निर्माण किए जाने संबंधी बात सामने आने पर नगर निगम ने गुरुवार को इसे तोड़ने की सारी तैयारियां कर ली थीं। शुक्रवार को पलासिया थाने में तुकोगंज व छोटी ग्वालटोली थाने का बल सुबह 10 बजे कार्रवाई के लिए पहुंच गया, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते निगम की टीम पहंुची ही नहीं।
कोर्ट ने कहा- कार्रवाई पूरी हो गई ताे सौंपें चाबी : शुक्रवार को हाई कोर्ट ने पुलिस को निर्देशित किया कि यदि उनकी कार्रवाई पूरी हो गई हो तो एसआर का दफ्तर खोल सकते हैं। पुलिस ने एसआर केबल के कार्यालय से प्रसारण संबंधी उपकरण जब्त कर लिए थे। इससे आठ लाख कनेक्शन बंद हो गए थे। इसके चलते केबल ऑपरेटर कोर्ट पहुंचे थे।
टारजन का लिया रिमांड, बजाज को छोड़ा- उधर, विजय नगर पुलिस ने शूटर टारजन को कोर्ट में पेश फिर से चार दिन का रिमांड मांग लिया। वहीं पुलिस रोहित सेठी, देवीलाल, ईश्वर उर्फ कल्लू भाया और शूटर प्रदीप उर्फ बना की भी तलाश कर रही है। गुरुवार रात पुलिस ने एसआर मप्र के डायरेक्टर सुशील बजाज को पूछताछ के लिए बुलाया था। तबीयत खराब होने पर घर भेज दिया था। हालांकि उसे रोज थाने में हाजिरी देने आना होगा।
अवैध बंगला बचाने के लिए परिजन ने लगाई याचिका, फैसला सुरक्षित : रोहित सेठी के बीमा नगर स्थित अवैध बंगले का मामला शुक्रवार को हाई कोर्ट पहुंच गया। परिजनों ने याचिका में कहा- नगर निगम ने सुनवाई का अवसर ही नहीं दिया। वहीं, निगम ने तर्क दिया कि समय रहते अवैध निर्माण संबंधी नोटिस दिया। जवाब मिलने के बाद इसे तोड़ने का निर्णय पारित किया। कोर्ट का समय समाप्त होने से कुछ समय पहले ही यह मामला सुनवाई के लिए लगा था। सेठी के वकील ने कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत को दरकिनार कर सीधे रिमूवल का नोटिस थमा दिया। निगम के वकील ने याचिका दायर होते ही जवाब पेश कर दिया। इसमें लिखा कि अवैध निर्माण का नोटिस 15 दिन पहले ही दे दिया था। एकतरफा कार्रवाई करने का सवाल ही नहीं उठता। जितना अवैध निर्माण है, उतना ही तोड़ा जाएगा। वहीं कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
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