भोपाल . एलिगेटर, मगरमच्छ और घड़ियाल को पानी के अंदर से पकड़ने में अच्छे-अच्छों को पसीना आ जाता हैं, लेकिन अरुणिमा सिंह देश की पहली ऐसी महिला हैं जो रेप्टाइल को रेस्क्यू करती हैं। इन्होंने अब तक 18 से अधिक घड़ियाल और मगरमच्छ जैसे खतरनाक जलीय जीवों को रेस्क्यू किया है।
ये घड़ियाल और मगरमच्छ पकड़ने में माहिर हैं। शहर के कलियासोत डैम में संकट में फंसे घड़ियाल को पकड़ने में वन विभाग की टीम ने हाथ खड़े कर दिए थे, लेकिन अरुणिमा ने दो घड़ियाल रेस्क्यू कर वन विहार पहुंचा दिए। अरुणिमा लखनऊ के कुकरैल घड़ियाल पुनर्वास केंद्र की प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर हैं। वे 6-7 साल से यह काम कर रही हैं।
'अब रेप्टाइल ही मेरी जिंदगी'
अरुणिमा सिंह ने बताया, "मैं आम लड़कियों की तरह पली, बढ़ी हूं। मेरे पिता स्वास्थ्य विभाग में अधिकारी थे। मेरा एक बड़ा भाई है और मां हाउस वाइफ हैं। एक बार मुझे स्कूल में वाइल्ड लाइफ पर एक प्रोजेक्ट बनाने को मिला। मैंने पिता को बताया तो उन्होंने मुझे लखनऊ के चिड़ियाघर में ले जाकर खड़ा कर दिया। वहां जाकर पहली बार वाइल्ड लाइफ को देखा तो उनसे प्यार हो गया। उसके बाद घर जाकर प्रोजेक्ट बनाया, जिसे इतना पंसद किया गया कि उसे स्कूल में ही रख लिया गया। इसके बाद शौक जुनून में बदल गया। जीव विज्ञान विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। कछुओं के ऊपर पीएचडी कर रही हूं। इसके बाद वाइल्ड लाइफ के लिए काम करने वाली संस्था से जुड़ गई। फिर तो मेरे जुनून को एक अर्थ मिल गया। एक टीम मिली जिसकी वजह से देशभर में जाकर रेप्टाइल जैसे घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुआ, डॉल्फिन सहित अन्य जलीय जीव को रेस्क्यू कर चुकी हूं। मेरी टीम में देश के बहुत ही बेहतरीन सहज और सरल मछुआरे हैं। वरिष्ठ शैलेंद्र सिंह, सुरेश पाल, हिमांशु आदि का सहयोग मिलता है, जिसकी वजह से सारे रेस्क्यू ऑपरेशन सफल रहे हैं।"
10 घंटे में पकड़ाया दूसरा घड़ियाल
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