Saturday, 7th June 2025

नया विवाद / राहुल ने कहा- राफेल में घोटाले के नए सबूत; रक्षा मंत्री बोलीं- यह मुर्दे में जान डालने की कोशिश

Sat, Feb 9, 2019 1:48 AM

 

  • नवंबर 2015 के डिफेंस नोट के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय को राफेल डील में पीएमओ की भूमिका पर आपत्ति थी
  • राहुल ने कहा- इससे साबित होता है कि मोदी घोटाले के गुनहगार हैं
  • रक्षा मंत्री का सवाल- क्या यह भी माना जाए कि मनमोहन के वक्त सोनिया पीएमओ में दखल देती थीं?

नई दिल्ली. राफेल डील को लेकर 38 महीने पुराना रक्षा मंत्रालय का एक नोट शुक्रवार को सामने आया। इस नोट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने नवंबर 2015 में कहा था कि राफेल डील पर प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से समानांतर बातचीत की जा रही है। मंत्रालय को इस पर आपत्ति थी। इस मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘‘ये नए सबूत बताते हैं कि मोदी घोटाले के गुनहगार हैं। उन्होंने वायुसेना के 30 हजार करोड़ रुपए लूटकर अनिल अंबानी को दिए हैं।’’ हालांकि, मौजूदा रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार ने राहुल के दावों को खारिज कर दिया।

 

 

नोट में कहा गया- प्रधानमंत्री कार्यालय ने स्थिति कमजोर की
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट और न्यूज एजेंसी एएनआई की तरफ से जारी डिफेंस नोट के मुताबिक, राफेल डील पर रक्षा मंत्रालय ने 24 नवंबर 2015 को एक पत्र लिखकर पीएमओ के दखल पर ऐतराज जताया था। नोट में कहा गया था कि यह साफ है कि प्रधानमंत्री कार्यालय की समानांतर बातचीत से भारत और भारत के वार्ताकार दल की स्थिति कमजोर हुई है। पीएमओ के अफसरों ने फ्रांस के साथ बातचीत में जो कहा है, वह रक्षा मंत्रालय के रुख से एकदम विपरीत है। 

 

रक्षा सचिव ने रक्षा मंत्री से अपील की थी
इसी पर नोट पर तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार ने तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के लिए एक संदेश लिखा था। इसमें कहा गया था, ''रक्षा मंत्री कृपया इस मामले को देखें। हमारी पीएमओ को सलाह है कि उनके जो अधिकारी फ्रांस से वार्ता दल में शामिल नहीं हैं, उन्हें फ्रांस सरकार के अधिकारियों से समानांतर चर्चा नहीं करनी चाहिए। अगर पीएमओ मंत्रालय की बातचीत से सहमत नहीं है तो हम इसमें बदलाव कर सकते हैं। पीएमओ की समानांतर वार्ता से सौदे में मंत्रालय और भारतीय दल की स्थिति कमजोर होगी।''

 

 

पर्रिकर ने इसे ओवर रिएक्शन बताया था
तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने रक्षा सचिव के नोट पर लिखा था- ऐसा प्रतीत होता है कि पीएमओ और फ्रांस का राष्ट्रपति कार्यालय शिखर वार्ता के फैसलों के अमल पर नजर रख रहा है। रक्षा सचिव इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव के साथ चर्चा कर सुलझा सकते हैं। अफसरों की आपत्ति ओवर रिएक्शन है।

 

फ्रांसीसी वार्ता दल के प्रमुख ने पीएमओ से फोन आने पर पत्र लिखा था
 

  • मीडिया रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि रक्षा मंत्रालय को पीएमओ के दखल की जानकारी फ्रांस के वार्ता दल के प्रमुख जनरल स्टीफन रेब के एक पत्र से मिली। इसमें पीएमओ के ज्वाइंट सेक्रेटरी और फ्रांस के रक्षा मंत्री के सलाहकार के बीच 20 नवंबर 2015 को फोन पर हुई बातचीत का जिक्र था। 
  • इसके बाद रक्षा मंत्रालय और भारतीय वार्ता दल के प्रमुख एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा (एयरफोर्स के डिप्टी चीफ) की ओर से पीएमओ को पत्र लिखकर समानांतर वार्ता की जानकारी दी गई थी। 
  • जवाब में पीएमओ के सेक्रेटरी ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति के कहने पर वहां के रक्षा मंत्री के सलाहकार ने उसने चर्चा की। हालांकि, सरकार ने 18 अक्टूबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राफेल सौदे में बातचीत करने के लिए दल सात सदस्य थे। एयरफोर्स के डिप्टी चीफ इसके प्रमुख थे। इसमें पीएमओ की किसी तरह की भूमिका नहीं थी।

 

 

राहुल ने सैनिकों से कहा- प्रेस कॉन्फ्रेंस जरूर देखें
राहुल ने पहले ट्वीट किया, ''देश के वीर सैनिक, आप हमारे रक्षक हो। आप देश के लिए अपनी जान तक देने को हमेशा तैयार रहते हो। आप गर्व हो हमारे। मेरी प्रेस वार्ता जरूर देखें।'' प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने कहा कि राफेल घोटाले की परतें लगातार खुल रही हैं। अब सब कुछ साफ हो चुका है कि प्रधानमंत्री इसमें सीधे तौर पर शामिल थे। वे घोटाले के गुनहगार हैं। उन्होंने ही अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपए दिए।

 

राहुल ने कहा- क्या मोदी को स्किजोफ्रेनिया है?
राहुल ने कहा- फ्रांस के राष्ट्रपति ने मोदी को चोर क्यों कहा था। और आज के नोट से यह साफ हो गया है कि रक्षा मंत्रालय उनको चोर बुला रहा है। वे चोर भी हैं। एक बार मुझे देखें और एक बार प्रधानमंत्री को देखें। आपको समझ आ जाएगा कि कौन घबराया हुआ है। वे कह रहे हैं कि उल्टा चोर चौकीदार को डांटें। क्या वे दोहरे व्यक्तित्व के शिकार हैं। क्या वे खुद को चोर और चौकीदार, दोनों मानते हैं। समझ में नहीं आता है कि कभी चौकीदार बन जाते हैं, कभी चोर। क्या उन्हें स्किजोफ्रेनिया है? पर्रिकर से मुलाकात पर उन्होंने कहा कि उनसे डील को लेकर कोई बात नहीं हुई। यह सिर्फ सौजन्य भेंट थी।

 

 

रक्षा सचिव और रक्षा मंत्री ने राहुल के दावों को खारिज किया
 

  • राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद तत्कालीन रक्षा सचिव मोहन कुमार ने उनके दावों को खारिज किया। उन्होंने न्यूज एजेंसी से कहा, ''रक्षा मंत्रालय का नोट केवल राफेल डील की गारंटी और सामान्य नियम-शर्तों को लेकर था। जो कुछ भी अब मीडिया रिपोर्ट में आया है, उसका कीमत से कोई संबंध नहीं है।''
  • अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट को लेकर राहुल के दावों पर लोकसभा में हंगामा हुआ। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राफेल सौदे में गड़बड़ी के आरोपों पर सदन में चर्चा हो चुकी है। सरकार का जवाब भी आ चुका है। शीर्ष अदालत ने अपना फैसला भी सुना दिया है और यह मुद्दा अब समाप्त हो चुका है, इसके बावजूद विपक्षी दल मुर्दे में जान डालने की कोशिश कर रहे हैं। 
  • रक्षा मंत्री ने पूछा कि क्या कांग्रेस यह बताएगी कि मनमोहन सरकार के दौरान तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएसी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी प्रधानमंत्री कार्यालय के कामकाज में हस्तक्षेप माना जाए? क्योंकि तब श्रीमती गांधी के इशारे पर ही हर काम होता था।

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