रायगढ़. शहर के वरिष्ठ साहित्यकार प्रभात त्रिपाठी को साहित्य के क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार (अनुवाद के लिए) दिया गया है। यह पुरस्कार उन्हें भुवनेश्वर के कवि हरप्रसाद दास की ओडिया में लिखी 'वंश' (महाभारत पर कविता) के हिंदी अनुवाद के लिए दिया गया है। 29 जनवरी को विभिन्न वर्गों के साहित्य अकादमी पुरस्कार 2018 की घोषणा की गई।
प्रभात संविधान निर्मात्री समिति के सदस्य रहे किशोरी मोहन त्रिपाठी के पुत्र हैं। प्रभात त्रिपाठी ने बताया कि हिन्दी में ऐसी कविताओं की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, इसलिए उन्हें यह पुरस्कार मिला है। वंश के रचयिता कवि हरप्रसाद दास थे, वे प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं।
दास ओडिया में कविताओं का लेखन करते रहे हैं। इस पुस्तक का प्रकाश राजकमल प्रकाशन की ओर से किया गया है। साहित्य अकादमी कुल 24 भारतीय भाषाओं के लेखकों एवं कवियों को साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की है।
इससे पहले साहित्य अकादमी का यह पुरस्कार रायपुर के वरिष्ठ साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को दिया गया था। प्रभात त्रिपाठी को पहले भी साहित्य के क्षेत्र में वागीश्वरी पुरस्कार, माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार सम्मान, शमशेर सम्मान, मुक्तिबोध सम्मान एवं कृष्ण बलदेव वैद जैसे सम्मान मिल चुके हैं।
साहित्य अकादमी का पुरस्कार घोषणा होने के बाद प्रभात त्रिपाठी को अनुवाद के लिए पुरस्कार मिलने की जानकारी कलेक्टर यशवंत कुमार को हुई तो उन्होंने बुधवार की शाम को श्री त्रिपाठी को कलेक्टोरेट बुलाकर उनको पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया।
प्रभात ने बातचीत के दौरान बताया कि हरप्रसाद दास द्वारा लिखी गई कविता महाभारत का पुनर्पाठ है। इन कविताओं में महाभारत के 18 दिनों की लड़ाई, देवयानी से लेकर श्री कृष्ण मृत्यु तक के बोध एवं द्वारिका का भी वर्णन किया गया है। 78 वर्षीय श्री त्रिपाठी की पढ़ाई सागर विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की पढ़ाई की है।
मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी में सचिव के पद पर रह चुके हैं एवं महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में अतिथि लेखक भी रह चुके हैं। उन्होंने अब तक अब तक 9 कविता संग्रह, 3 उपन्यास और 7 आलोचना एवं 6 अनुवाद (ओडिया से हिन्दी में) की रचना कर चुके हैं।
श्री त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने किशोरी मोहन त्रिपाठी से कविता लिखना सीखा है और उनको देखकर ही साहित्य में रुचि बढ़ी और ओडिया से हिन्दी में अनुवाद करना उन्होंने चिरंजीव दास से सीखा है।
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