कांकेर/भानुप्रतापपुर. जमीन विवाद सुलझाने पहुंचीं तहसीलदार ने पक्षकारों को ऐसी सलाह दे दी, जिसे सुन दोनों पक्ष सकते में आ गए। विवाद को हल करने तहसीलदार ने दोनों पक्षों को दो टूक शब्दों में कहा कि जिसे जमीन चाहिए, वे तलवार थाम कर मैदान में उतर जाओ। युद्ध में जिसकी मुंडी बच जाएगी, जमीन उसकी हो जाएगी। सरकारी अफसर के इस बिगड़े बोल से मामला सुलझने के बजाए और उलझने लगा। गुस्साए ग्रामीणों ने मामला लेकर एसडीएम कार्यालय भानुप्रतापपुर पहुंच तहसीलदार की शिकायत की।
दुर्गूकोंदल के गांव भीरावाही के ग्रामीणों के बीच श्मशान घाट व बाजार की जमीन को लेकर पिछले एक साल से विवाद था। इसे सुलझाने ग्रामीणों ने जनदर्शन में शिकायत की थी। जांच करने दुर्गूकोंदल तहसीलदार प्रियंका देवांगन 16 जनवरी को भीरावाही पहुंचीं। बैठक में दोनों पक्षों को बुलाया। ग्रामीण अपनी- अपनी शिकायत करने लगे। इसी बीच तहसीलदार ने झल्लाते हुए ग्रामीणों को कहा जिसे जमीन चाहिए वे तलवार पकड़ लड़ाई करें। जिसका सिर बच जाए, जमीन उसकी होगी। इसके बाद वहां तनाव बढ़ गया। समस्या का हल निकाले बिना तहसीलदार पंचनामा बनाकर बाजार खाली कराने की बात कहकर लौट गईं। तहसीलदार के अभद्र व्यवहार की शिकायत करने दूसरे दिन ग्रामीण एसडीएम कार्यालय भानुप्रतापपुर पहुंचे।
इस बात का गांव में है विवाद
सालभर पूर्व ग्राम पंचायत व सभी ग्रामीणों ने आपसी रजामंदी से गांव के बीच श्मशान घाट को गांव से बाहर ले जाने का फैसला लिया। पुराने श्मशान घाट में मिट्टी आदि पाट उसे समतल कर वहां बाजार लगाया जाने लगा। इसका गांव के कुछ लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। इनका कहना है वहां उनके पूर्वजों का मठ है इसे नहीं पाटना चाहिए। इसे लेकर ग्रामीण हीरेसिंग दर्रो व अन्य ने पिछले सप्ताह जनदर्शन में शिकायत की थी जिसकी जांच करने तहसीलदार पहुंची थीं।
ग्राम प्रमुखों को तहसीलदार ने कहा- नालायक
ग्रामीणों ने बताया कि बैठक में ग्राम प्रमुख, सचिव, कोटवार सभी मौजूद थे। चर्चा के दौरान तहसीलदार प्रियंका देवांगन ग्राम प्रमुखों को नालायक कहने लगी। नालायक बोलने का जब ग्रामीणों ने विरोध किया तो तहसीलदार ने कहा कि इसमें गुस्सा होने वाली क्या बात है। हमारे बड़े अफसर भी हमें नालायक बोलते हैं।
पहले भी बिगड़ चुके हैं बोल
तहसीलदार प्रियंका देवांगन के बोल पहले भी बिगड़ चुके हैं। दिसंबर 2018 में पुजारीपारा का युवक कमलेश नाग कोटवार बनने तहसीलदार के समक्ष पेश हुआ था। उसे तहसीलदार ने कहा था, तुम फूहड़ हो मैं एेसे लोगों से बात नहीं करती, तुम पागल जैसे दिखते हो। मैं अभी लिखती हूं तुम पागल खाने जाओगे। जाकर नक्सली बनो। इसके बाद उसे शाम 5 बजे पेशी लेने की बात कहते बाहर बैठाया था।
तहसीलदार प्रियंका देवांगन से सीधी बात
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