भास्कर न्यूज नेटवर्क. भारत में 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों पर यूपीए-2 सरकार के समय हुए घोटालों के खुलासे, निर्भया रेप केस के बाद हुए आंदोलन और अन्ना के अनशन का खासा प्रभाव रहा। मगर मतदाताओं पर जिसका सीधा असर दिखा वो थे नरेंद्र मोदी। उनकी भाषण शैली लोगों को इस कदर आकर्षित करने लगी कि हैदराबाद में तो लोग पांच-पांच रुपए का टिकट खरीदकर उनका भाषण सुनने पहुंचे थे। यह शुल्क भाजपा की हैदराबाद इकाई ने तय किया था। फिर भी देश की राजनीति में यह पहली बार था जब किसी नेता के भाषणों को सुनने के लिए जनता को टिकट लेना पड़ा हो।
यूपीए के खिलाफ बने माहौल और मोदी के आक्रामक तेवर का असर यह रहा कि सभी पूर्वानुमानों को गलत साबित करते हुए भाजपा अकेले के दम पर 282 सीटें जीत गई। इस तरह देश में 30 साल बाद कोई एक दल पूर्ण बहुमत का आंकड़ा छूने में सफल रहा।
आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ
इतना ही नहीं, ऐसा भी पहली बार हुआ कि कांग्रेस का देश के 12 राज्यों में खाता ही नहीं खुला। इन राज्यों में गुजरात, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड शामिल थे। वह किसी भी राज्य में दहाई के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाई। आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस को इस तरह करारी हार का सामना करना पड़ा। उसकी सीटें सिमटकर मात्र 44 रह गईं। इससे पहले वर्ष 1999 के चुनाव में कांग्रेस को सबसे कम 114 सीटें मिली थीं। हालांकि इस ऐतिहासिक जीत के बावजूद भाजपा सात राज्यों में खाता नहीं खोल पाई।
सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल हुआ
हर बार से अलग इस चुनाव में फेसबुक, ट्विटर, एसएमएस, वॉयस कॉल जैसे आधुनिक प्रचार तरीकों का इस्तेमाल जमकर हुआ। मगर भाजपा इसमें भी आगे रही। उसने 3डी सभाएं तक कीं। फेसबुक के अनुसार इस दौरान लोगों ने चुनाव से जुड़े 22.7 करोड़ इंटरेक्शन (पोस्ट, कमेंट, शेयर और लाइक) किए। इनमें 7.5 करोड़ इंटरेक्शन नरेंद्र मोदी से जुड़े थे।
भाजपा ने 22 लाख वॉलंटियर जोड़े
भाजपा के साइबर कैंपन ने 22 लाख लोगों को बतौर वॉलंटियर जोड़ा। साथ ही जगह-जगह चाय पर चर्चा की। भाजपा ने अच्छे दिन आने वाले हैं, कांग्रेस मुक्त भारत और अबकी बार मोदी सरकार जैसे नारे दिए, जो मतदाताओं के दिलो-दिमाग पर छाप छोड़ने में सफल रहे।
अंडमान की जनजाति ने भी किया वोट
2014 में कुल लोकसभा सीटें | 543 |
कुल मतदाता | 83.41 करोड़ |
कुल उम्मीदवार | 8,251 |
भाजपा | 282 सीटें |
कांग्रेस | 44 सीटें |
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