भोपाल . प्रदेशभर में मंगलवार से ‘जय किसान फसल ऋण माफी योजना’ की शुरुआत हो गई। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने योजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि यह मध्यप्रदेश के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी। इससे प्रदेश के 55 लाख किसानों का 50 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ होगा।
मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया कि भावांतर भुगतान योजना बंद नहीं की जाएगी। इसमें जो भी कमियां हैं, उन्हें दूर कर नए स्वरूप में लागू किया जाएगा। किसानों से कर्जमाफी के सभी आवेदन 5 फरवरी तक भरवा लिए जाएंगे और लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले ही लाभ भी दे दिया जाएगा। कमलनाथ ने कर्जमाफी को लेकर उठाए जा रहे सवालों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भाजपा के लोग बजट प्रावधान के बारे में उन्हें न समझाएं।
वे बजट बहुत अच्छे से जानते हैं। उन्होंने किसान ऋण माफी योजना के बारे में अध्ययन चुनाव के पहले ही कर लिया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सलाह देता हूं कि वे आंकड़े पेश करने के बजाय आम जनता और किसानों को हिसाब किताब दें।
किसानों के बच्चों के लिए भी रोजगार की व्यवस्था करना है : सीएम ने कहा कि बीते दो दशकों में किसानों के बच्चे भी पढ़ लिखकर आगे आए हैं, इंजीनियर बने हैं। उनके रोजगार की व्यवस्था करना होगा। सरकार का अगला फोकस युवाओं को रोजगार दिलाने पर होगा। इसके लिए प्रदेश में निवेश की जरूरत होगी और इसके लिए विश्वास का वातावरण तैयार किया जा रहा है। जल्दी ही प्रदेश में निवेश आने का सिलसिला शुरू होगा।
ऐसा होगा भावांतर का स्वरूप : किसानों को फ्लेट रेट पर प्रति क्विंटल राशि दी जाएगी। इसमें लहसुन पर 800 रुपए, प्याज पर 400 रुपए एवं सोयाबीन व मक्का पर 500-500 रुपए प्रति क्विंटल फ्लेट भावांतर की राशि दी जाएगी। इसका आकलन प्रति हेक्टेयर में होने वाली औसत प्रति क्विंटल फसल उत्पादन के आधार पर होगा। सरकार इस स्कीम का नाम किसान समृद्धि योजना अथवा फ्लेट भावांतर योजना रखने जा रही है। आगामी दिनों में इस योजना में अन्य फसलें भी शामिल होंगी।
सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण सरकार परीक्षण करा रही है, प्रदेश में कैसे दे सकते हैं : मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने पर सरकार विचार कर रही है। इस मामले का अभी परीक्षण करवा रहे हैं। इसमें यह देखा जा रहा है कि प्रदेश में जो व्यवस्था है, उसमें सामान्य वर्ग को कैसे आरक्षण दिया जा सकेगा।
ई-टेंडर : जांच में इसलिए देरी दिल्ली की संस्था सात माह से दबाकर बैठी है रिपोर्ट : मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली की एक संस्था कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) सात महीने से ई-टेंडरिंग घोटाले की रिपोर्ट दबाकर बैठी है। इसलिए जांच में देरी हो रही है। अफसरों से कहा गया है कि वे दिल्ली जाकर डेरा डालें और रिपोर्ट लाएं।
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