शिलांग. मेघालय के जयंतिया हिल्स जिले की अवैध कोयला खदान में फंसे हुए 15 मजदूरों का 18 दिन बाद भी कोई सुराग नहीं लग सका। उन्हें निकालने के लिए शनिवार को भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। टीम को तीन हेलमेट मिले हैं। ये मजदूर 13 दिसंबर से खदान में फंसे हैं।
370 फीट गहरी इस खदान में 70 फीट तक पानी भरा है। इसे निकालने के लिए एनडीआरएफ की टीम की गुहार के बाद एयरफोर्स का एक विमान शुक्रवार को 21 जवानों के साथ 100 हॉर्सपॉवर के 10 पंप लेकर पहुंचा। वहीं, विशाखापट्टम से नेवी के गोताखोर अभियान में शामिल होने पहुंच रहे हैं। ओडिशा से फायर सर्विस टीम के 20 सदस्य ऑपरेशन में साथ देंगे।
किर्लोस्कर की टीम भी मदद के लिए पहुंची
इन दोनों टीमों के अलावा बचाव अभियान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय टीमों के साथ लगी हुई हैं। इनके अलावा निजी कंपनी किर्लोस्कर की टीम हाईपावर पंप के साथ पहले ही पहुंच चुकी है। इस कंपनी ने इंडोनेशिया की गुफा में फंसी फुटबॉल टीम के बचाव अभियान में उपकरण भेजे थे। इससे पहले एनडीआरएफ ने कहा- ‘खदान में पानी का स्तर जांचने के लिए गोताखोर क्रेन से उतरा था। 15 मिनट बाद उसने सीटी बजाई तो उसे ऊपर खींच लिया गया। उसने खदान से बदबू आने की बात कही। यह अच्छा संकेत नहीं है। अब उम्मीद कम है। हालांकि, चमत्कार होते हैं और हम अपनी उम्मीद नहीं छोड़ रहे हैं।
रैट होल माइन मतलब मजदूरों की कब्रगाह
खड़ी सुरंगों को रैट होल माइन कहा जाता है। इनमें सिर्फ एक व्यक्ति के गुजरने की जगह होती है। हादसों के बाद 2014 में एनजीटी ने खनन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद भी अवैध खनन जारी है।
बचाव के लिए वक्त फिसल रहा है
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