Saturday, 24th May 2025

छत्तीसगढ़ / नक्सलियों का साथ नहीं दिया तो 9 परिवारों को गांव से भगाया, रोजी रोटी के भी लाले

Sat, Dec 29, 2018 8:27 PM

 

  • 3 साल तक गांव से बाहर नहीं निकलने दिया
  • मजबूरी में एक युवक बाहर गया तो नक्सलियों ने बैठक करके मारने का प्रयास किया
  • मिन्नतों के बाद गांव छोड़ने का फरमान सुना दिया

Dainik Bhaskar

Dec 29, 2018, 12:05 AM IST

अंबु शर्मा, दंतेवाड़ा . नक्सलियों का साथ नहीं दिया तो पुलिस का मुखबिर होने का शक जताया, तीन साल तक परेशान किया। इसके बाद गांव से बेदखल कर दिया। यह 9 परिवार अब दर-दर भटक रहे हैं। मामला बारसूर थाना क्षेत्र के तुलार, तोड़मा गांव का है। नक्सलियों ने पहले तो  मुखबिर होने का आरोप  लगाया।

 

इसके बाद गांव के चारों ओर लाल लकीर खींची व पार नहीं करने का फरमान जारी किया। तीन साल के बाद जब युवक ने मजबूरी में इस लकीर को पार कर दिया तो गांव के परिवार के सभी सदस्यों को पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर गांव से ही नक्सलियों ने बेदखल कर दिया। अब यह सभी परिवार दर-दर भटक रहे हैं।

 

रोजी रोटी के लिए मजदूरी भी नहीं मिल रही है। यह परिवार खुद को छिपाते हुए दंतेवाड़ा के पास रह रहे हैं। 40 एकड़ जमीन के मालिक अब चंद डिसमिल जमीन व दो वक्त के भोजन के लिए तरस रहे हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा रहे। इन 9 परिवारों के करीब 21 सदस्यों के सामने दर्द के सिवाय और कुछ भी नहीं बचा। एसपी डाॅ अभिषेक पल्लव ने बताया कि गांव से बेदखल करने की जानकारी मिली है। जांच के बाद पुनर्वास नीति के तहत जो भी लाभ होंगे, पीड़ितों को दिए जाएंगे। 

पत्नी बीमार थी इसलिए गांव से गया, फिर वापस नहीं लौटा

  1.  

    इस गांव के युवक ने बताया कि नक्सली राशन पहुंचाने कहते थे। मैंने मना किया, मुझे कहा कि तुम पुलिस के लिए काम करते हो। गांव से बाहर निकले तो मारे जाओगे। 2013 से 2016 तक गांव में ही रहा। पत्नी, बच्चे बीमार होते तो सिरहा, गुनिया से ही इलाज कराता। पत्नी ज्यादा बीमार हुई तो मैं छिपते-छिपाते मंगनार गांव गया। कुछ दिनों बाद नक्सलियों को इसकी जानकारी लग गई। फिर से प्रताड़ना शुरू कर दी। मुझे जान से मारने के लिए तलाशते रहे, खबर मिली तो मैं गांव छोड़कर भाग आया। 

     

  2. बुजुर्ग का दर्द : हमने गांव को बसाया, हम ही बेदखल हो गए

     

    यह दर्द ग्रामीण युवक के दादा की आंखों में भी स्पष्ट तौर पर झलक रहा है। युवक के दादा ने बताया कि जिस गांव को मैनें व मेरे पूर्वजों ने बसाया जिंदगी के अंतिम दिनों उसी गांव से हमें नक्सलियों ने सिर्फ इसलिए बेदखल कर दिया कि हमने उनका साथ नहीं दिया। मैंने परिवार से कहा मंजूर है गांव छोड़कर चले जाना, लेकिन नक्सलियों के लिए काम नहीं करेंगे।

     

  3. बंधक बने युवक की जुबानी

     

    भाई के गांव से बाहर होने की खबर नक्सलियों को मिली तो वे पिताजी व मुझे बंधक बनाकर ले गए। नक्सलियों ने बैठक रखी। उस बैठक में हम सब पर पुलिस का मुखबिर होने का आरोप लगाया। मारने की पूरी तैयारी कर ली थी। हम ऐसा नहीं करने की मिन्नतें करते रहे, बार-बार आग्रह करने पर जान से नहीं मारा लेकिन परिवार सहित तुरंत ही गांव छोड़ने का फरमान जारी कर दिया। मजबूरन छोड़ना भी पड़ा। 

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