रायपुर (मनोज व्यास). बस्तर में टाटा स्टील प्लांट के लिए अधिग्रहित 1784 हेक्टेयर निजी जमीन लौटाने के लिए कांग्रेस सरकार ने फॉर्मूला तय कर लिया है। किसानों के लिए राहतभरी बात यह है कि जमीन के बदले दी गई मुआवजा राशि वापस नहीं ली जाएगी। प्लांट के लिए दस गांवों के 1707 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इनमें से 1165 किसानों को 42.7 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया। शेष 542 किसानों ने मुआवजा लेने से इनकार कर दिया था।
जमीन लौटाने की प्रक्रिया राजस्व विभाग ने शुरू कर दी है। यह प्रदेश का पहला मामला है, जिसमें भू-स्वामियों को जमीन वापस की जाएगी। इससे पहले रायगढ़ और जांजगीर में उद्योगों के लिए जो जमीन ली गई थी, उसे राज्य सरकार ने अपने लैंडपूल में रख लिया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेटमें जमीन लौटाने का फैसला लिया गया था।
बस्तर के लोहंडीगुड़ा और आसपास के 1707 खातेदारों को लगभग 1784 हेक्टेयर जमीन लौटाई जानी है। लेकिन, सवाल उठ रहा था कि जमीन वापसी का फॉर्मूला क्या होगा? क्या किसानों को दिया गया मुआवजा वापस लिया जाएगा? राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक मुआवजा वापस नहीं मांगा जाएगा। उन्हें जमीन मुफ्त ही लौटा दी जाएगी।
पूर्ववर्ती सरकार ने 2005 में टाटा के साथ स्टील प्लांट लगाने के लिए एमओयू किया था। एमओयू की शर्तों के मुताबिक पांच साल के भीतर प्लांट का काम शुरू करना होता है, लेकिन 2016 में टाटा ने स्टील प्लांट लगाने से इंकार कर दिया।
टाटा स्टील प्लांट के लिए लोहंडीगुड़ा ब्लॉक के 10 गांवों की सरकारी, निजी और वन भूमि को मिलाकर 2043 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण होना था। इसमें 106 हेक्टेयर वन, 173 हेक्टेयर शासकीय व 1707 कृषकों की 1765 हेक्टेयर जमीन शामिल है।
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