तिल्दा-नेवरा. नगर में 11 सालों में फर्जीवाड़ा कर मध्याह्न भोजन संचालन करने वाले ठेकेदार कथित पत्रकार ने पत्नी के नाम पर स्व सहायता समूह का बनाकर लाखों रुपए डकार लिये। मामले की शिकायत होते ही पत्नी के समूह ने मध्याह्न भोजन का संचालन छोड़ा दिया। उसके बाद हुई कई जांचों में धांधली का खुलासा होने पर हेराफेरी उजागर हुई।
कई महीने बीतने के बाद समूह से फर्जी तरीके से निकाले गए मानदेय की रिकवरी नहीं की गई है। बताया जाता है कि 11 साल से मध्याह्न भोजन ठेकेदार द्वारा रसोइयों का मानदेय फर्जी तरीके से निकाल कर लाखों डकारे। संतोषी स्वसहायता समूह और सरस्वती महिला समूह और दुर्गा समूह के नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया।
कथित ठेकेदार ने अखबार की धौंस पर गुंडागर्दी करते हुए पत्नी के नाम से संचालित मध्याह्न समूह द्वारा शासन को लाखों रुपए का चूना गया। जांच के बाद पोल खुलने पर धांधली का पता चलते ही समूह से शासन ने मध्याह्न भोजन का संचालन छीन लिया।
खाद्य और शिक्षा अधिकारी ने इस साल 9 फरवरी को लिखित आदेश कर मध्याह्न भोजन शुरू करने का निर्देश जारी किया था। लेकिन ठेकेदार द्वारा उक्त आदेश का पालन नहीं किया जा रहा था और न ही अधिकारियों को किसी प्रकार की सूचना दी गई।
इसके बाद जांच दल ने उक्त ठेकेदार द्वारा चलाए जा रहे मध्याह्न भोजन में अनेक अनियमितताओं की पुष्टि की। जांच दल के प्रतिवेदन में कहा गया कि ठेकेदार द्वारा सरकार को गुमराह करते हुए अलग-अलग रसोइयों का मानदेय निकाला जा रहा था। जबकि सभी स्कूलों का मध्याह्न भोजन एक स्थान पर बनाया जाना पाया गया।
करीब 3 महिला समूह को शिकायत की गई। दुर्गा महिला स्व सहायता समूह के शिकायत के जांच नहीं हुई है। कारण इस समूह के ठेकेदार की पत्नी सरला कोटवानी थी। उन्होंने आनन-फानन में स्व सहायता समूह द्वारा मध्याह्न भोजन छोड़ने आवेदन दे दिया, इस कारण जांच नहीं हो पाई है।
दूसरी तरफ निर्मला यादव अपने आप को सरस्वती समूह की अध्यक्ष बता रही थी तो दूसरी ओर दुर्गा समूह से मानदेय प्राप्त कर रही थी, जो नियम के विपरीत पाया गया। कुल मिलाकर 11 साल में लाखों रुपए डकार ने वाले ठेकेदार पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और न ही मानदेय की राशि की रिकवरी की गई है।
इसी साल 16 मार्च को महिला सदस्यों के संस्थापक सदस्यों द्वारा उक्त महिला समूह और ठेकेदार इंदर कोटवानी के खिलाफ शिकायत की गई। कलेक्टर रायपुर ने 23 मार्च को ब्लॉक स्तर पर अफसरों की समिति जांच के लिए गठित की थी। जांच दल ने स्वसहायता समूह द्वारा बिना सरकारी आदेश के नवीन प्राथमिक शाला का मध्याह्न भोजन अवैध पाए जाने पर कार्रवाई की।
शासक के निर्देश अनुसार 25 विद्यार्थियों के पीछे एक रसोइए होने चाहिए थे। जबकि चार स्कूलों में दर्ज संख्या 693 थी, जहां 8 रसोइयों के नाम पर ठेकेदार ने 15 रसोइयों का मानदेय निकाला। इस तरह मध्याह्न भोजन के काम पर 11 साल धांधली की गई, जिसका खुलासा जांच रिपोर्ट में पाया गया है।
जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पत्र क्रमांक 4562 शिक्षा शाखा जनपद पंचायत को 23 मार्च को मिला। इसके बाद गठित जांच दल में बीईओ बीएल देवांगन, विकासखंड विस्तार अधिकारी एसपी निषाद और सहायक विकास विस्तार अधिकारी एम कुजर शामिल थे। निर्मला यादव ने बताया कि मैं इसे बारे में कुछ नहीं जानती। इस संबंध में मेरी दीदी और सचिव बताएंगे।
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