नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने 10 प्रमुख सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को किसी भी व्यक्ति या संस्था के कम्प्यूटरों में मौजूद डेटा की जांच करने का अधिकार दे दिया है। देश की सुरक्षा के लिए इसे महत्वपूर्ण बताया गया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, प्रमुख एजेंसियां किसी भी व्यक्ति के कम्प्यूटर से जेनरेट, ट्रांसमिट या रिसीव हुए और उसमें स्टोर किए गए किसी भी दस्तावेज को देख सकेंगी। यह अधिकार आईटी एक्ट की धारा-69 के तहत दिया गया है। कांग्रेस ने इस पर कहा कि अबकी बार मोदी सरकार ने निजता पर वार किया है। हालांकि, जेटली ने कहा- जिन नियमों के आधार पर हमने यह कदम उठाया है, वह 2009 में यूपीए सरकार के वक्त बने थे।
विपक्ष पहले पूरी जानकारी हासिल कर ले- जेटली
जेटली ने कांग्रेस नेता आनंद शर्मा के विरोध पर कहा- अच्छा होता कि विपक्ष कोई मुद्दा उठाने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेता। 20 दिसंबर 2018 को वही आदेश दोहराया गया है, जो 2009 से अस्तित्व में है। जहां मिट्टी का ढेर तक नहीं होता, वहां आप लोग पहाड़ बनाने लगते हैं। जब विपक्ष का कोई वरिष्ठ नेता कुछ कहता है तो उसके शब्दों की बड़ी अहमियत होती है। ऐसे में आपको तथ्यों के बारे में जानकारी कर लेनी चाहिए।
'यह समस्या का हल नहीं'
राहुल गांधी ने लिखा- "देश को एक पुलिस राज्य में बदला जा रहा है। यह समस्या का हल नहीं है। एक अरब से ज्यादा भारतीयों के बीच साबित हो गया कि आप (नरेंद्र मोदी) एक असुरक्षा महसूस करने वाले तानाशा हैं।"
इन 10 एजेंसियों को मिला जांच का अधिकार
गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक सभी सब्सक्राइबर, सर्विस प्रोवाइडर या कंप्यूटर रिसोर्स से जुड़े व्यक्तियों को जरूरत पड़ने पर जांच एजेंसियों का सहयोग करना पड़ेगा। ऐसा नहीं करने पर 7 साल की सजा और जुर्माना लग सकता है।
जनता की निजता पर हमला: कांग्रेस
क्या है आईटी एक्ट की धारा-69 ?
इसके मुताबिक अगर केंद्र सरकार को लगता है कि देश की सुरक्षा, अखंडता, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्त बनाए रखने या अपराध रोकने के लिए किसी डेटा की जांच की जरूरत है तो वह संबंधित एजेंसी को इसके निर्देश दे सकती है।
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