जगदलपुर. झीरम हमले मामले में एसआईटी जांच के आदेश दे चुके नए सीएम भूपेंद्र बघेल के सामने नया पेंच फंस गया है। शुरूआती जानकारी में सामने आया है कि झीरम हमले मामले से जुड़ीं फाइलें नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) अपने कब्जे में ले चुकी है। स्थानीय पुलिस के पास हमला कांड से जुड़े कोई भी दस्तावेज हाथ में नहीं हैं। हालांकि मंगलवार को सीएम बघेल ने कहा है कि जांच के लिए जो फाइलें एनआईए ले गई है, उसे एसआईटी के माध्यम से वापस मंगवाया जाएगा। बता दें कि 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में नक्सलियों ने बड़ा हमला था। इसमें कांग्रेस के नेताओं समेत करीब 28 लोग मारे गए थे।
इतने बड़े हमले से संबंधित कोई भी विस्तृत जानकारी या दस्तावेज दरभा थाने में मौजूद ही नहीं हैं। पुलिस के पास हमले से संबंधित जो थोड़े बहुत दस्तावेज मौजूद थे, उसे एनआईए ने अपने कब्जे में ले लिया था। इसके बाद से स्थानीय पुलिस की भूमिका इस मामले में खत्म हो गई थी।
अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि यदि एसआईटी जांच की शुरूआत करेगी तो वह जांच के लिए जरूरी आधार कैसे तैयार करेगी? दरअसल, झीरम हमले की घटना पांच साल पहले हुई थी। ऐसे में मौका-ए-वारदात से साक्ष्य एसआईटी को उपलब्ध नहीं हो पाएंगे। इन साक्ष्यों के लिए एनआईए से ही एसआईटी दस्तावेज मांगेगी।
चूंकि, एनआईए ने में कोर्ट में चालान पेश कर दिया है, ऐसे में एनआईए सीधे तौर पर एसआईटी को दस्तावेज नहीं देगी। इसके लिए एनआईए अपना पल्ला झाड़ते हुए एसआईटी को कोर्ट से दस्तावेज मांगने की बात भी कह सकती है। अगर दस्तावेज उपलब्ध नहीं होते हैं, तो एसआईटी को नए सिरे से जांच करनी पड़ेगी।
झीरम हमले की जांच में यही बता पाई है कि घटना वाले दिन नक्सलियों का मेन एंबुश कहां था और हमले के दौरान नक्सलियों की पोजिशन कैसी थी और कहां-कहां किसने मोर्चा संभाला हुआ था। ये जानकारी भी एनआईए के सामने हमले में शामिल होने के आरोपियों से पूछताछ के दौरान मिली है। इस मामले में अलग से कोई विस्तृत जानकारी तथ्य सामने ही नहीं आ पाए हैं।
इतना ही नहीं, इस हमले में शामिल किसी भी बड़े नक्सली की गिरफ्तारी भी आज तक नहीं हो पाई हैं। मामले को विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने पांच साल तक जिंदा रखा था और इसे लेकर समय-समय पर भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करती रही। चुनाव प्रचार के दौरान जगदलपुर आए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी लालबाग से अपने संबोधन में जोर-शोर से यह मामला उठाया था।
झीरम हमले के बाद बस्तर पुलिस ने तात्कालिक तौर पर मामले की जांच की शुरूआत की थी। इसके बाद मामले ने जब रंग लेना शुरू किया तो राज्य शासन के द्वारा एनआईए से जांच करवाने का फैसला लिया और इस तरह राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी को मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। पुलिस को इस मामले से जुड़े हुए सभी दस्तावेज एनआईए को सौंपने पड़े।
इसके बाद एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया, जिसकी सुनवाई अभी भी जारी है। इसके बाद अब एसआईटी बनाकर इस मामले की जांच करवाने की तैयारी हो गई है। पिछले साढ़े पांच सालों में एसआईटी अब जांच करने वाली चौथी एजेंसी होगी।
इधर झीरम हमले को इस दिसबंर में साढ़े पांच साल से ज्यादा का समय हो गया हैं। एनआईए ने इस मामले की जांच शुरू की तब 168 लोगों को नामजद आरोपी बनाया था। पहली चार्जशीट जब एनआईए ने कोर्ट में पेश की तब से लेकर अब तक सिर्फ 37 आरोपियों की ही गिरफ्तारी हो पाई हैं। इस दौरान कोई बड़ा खुलासा यह राष्ट्रीय जांच एजेंसी नहीं कर पाई हैं।
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