भोपाल (गुरुदत तिवारी) . इस बार हुए विधानसभा चुनाव में पिछले चुनावों से वोटिंग अपेक्षाकृत ज्यादा रही। प्रदेश की 54 सीटें (23.47%) ऐसी रहीं, जिनमें वोटिंग प्रतिशत 80 से भी ज्यादा रहा। इसका सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को हुआ। इन 54 सीटों में से 32 उसकी झोली में आई हैं। भाजपा सिर्फ 20 सीटें ही जीत सकी, जबकि 2 सीटों पर निर्दलीयों ने बाजी मारी। राजनीतिक विश्लेषक यही मान कर चल रहे थे कि यहां अंदरूनी तौर पर आरएसएस की सक्रियता ज्यादा है, जिसके चलते भाजपा को फायदा होगा, लेकिन परिणामों ने इस संभावना को पूरी तरह से पलटकर रख दिया।
मालवा-निमाड़ की 12 सीटें कांग्रेस को मिली: कांग्रेस को सत्ता की राह दिखाने में सबसे अहम भूमिका निभाई मालवा-निमाड़ ने। यहां मतदान का प्रतिशत प्रदेश के दूसरे हिस्सों से कहीं अधिक रहा। यहां की 66 में से 20 सीटें ऐसी हैं, जहां वोटिंग 80% से भी ज्यादा हुई है। इनमें सबसे अधिक 12 सीटें कांग्रेस को मिली। महाकौशल की 15 में से 12 सीटें कांग्रेस की झोली में गईं। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा को सम्मानजनक स्तर तक पहुंचाने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले विंध्य क्षेत्र में एक भी सीट पर मतदान 80% से ज्यादा नहीं रहा। संभव है कि यहां भी अगर वोटिंग मालवा-निमाड़ और महाकौशल की तरह होती तो कांग्रेस यहां भी ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रहती।
वोटिंग प्रतिशत बढ़ने का सीधा लाभ कांग्रेस को मिला
भाजपा-कांग्रेस के खाते में कहां-कितनी सीटें
क्षेत्र | सीट | कांग्रेस | भाजपा | अन्य | वोटिंग (%) |
मालवा-निमाड़ | 20 | 12 | 07 | 01 | 77.73% |
ग्वालियर चंबल | 02 | 02 | 00 | 00 | 71.44% |
महाकौशल | 15 | 12 | 02 | 01 | 77.72% |
मध्यभारत | 16 | 06 | 10 | 00 | 77.70% |
बुंदेलखंड | 01 | 00 | 01 | 00 | 72.90% |
विंध्य | 00 | 00 | 00 | 00 | 72.79% |
योग | 54 | 32 | 20 | 02 | 00.00% |
कमलनाथ-शिवराज के गृह जिलों की स्थिति : कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में छिंदवाड़ा, अमरवाड़ा, चौरई, सौंसर, जुन्नारदेव, परासिया, पांढुर्ना तो शिवराज के गृह जिले सीहोर की सीहोर, बुदनी, आष्टा, इछावर में भी वोटिंग 80% से ज्यादा हुई।
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