मध्यप्रदेश / कांग्रेस की जीत के 3 कारण; गांव में कर्जमाफी का वादा, बेरोजगारी का मुद्दा और नोटा
Wed, Dec 12, 2018 10:28 PM
- गांवों में कर्ज माफी का वादा कर कांग्रेस ने 30 और शहरों में बेरोजगारी का मुद्दा उठाकर 33 सीटें बढ़ा लीं
- भाजपा को शहरों में बड़ा नुकसान, कांग्रेस को मालवा-निमाड़ ने दी संजीवनी
- इस बार 9 नेताओं की हार-जीत के अंतर से नोटा को ज्यादा वोट मिले
भोपाल. मध्यप्रदेश की 15वीं विधानसभा में कांग्रेस सबसे ज्यादा सीटें हासिल कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। कांग्रेस ने राज्य में 15 साल पुरानी भाजपा सरकार को बड़ा झटका दिया है। मतगणना मंगलवार सुबह 8 बजे शुरू हुई थी, लेकिन बुधवार सुबह 8.21 बजे जाकर स्थिति साफ हुई। कांग्रेस को 114 तो भाजपा को 109 सीटें मिलीं। अन्य के खाते में 7 सीटें गई हैं।
कांग्रेस की जीत के तीन बड़े कारण और उसके मायने:

मायने- निमाड़ में कांग्रेस फिर मजबूत हुई:
- मालवा-निमाड़ में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है और इन्हीं अंचल की सीटों ने कांग्रेस को संजीवनी दी। खंडवा समेत निमाड़ के चार आदिवासी जिलों खरगोन,बड़वानी,धार और झाबुआ में कांग्रेस की ताकत बढ़ गई है।
- निमाड़ की कुल 28 सीटों में कांग्रेस ने 20 सीटों पर जीत हासिल की। दो सीट पर निर्दलीयों ने बाजी मारी। यह दोनों कांग्रेस के ही बागी उम्मीदवार थे। भाजपा को केवल 6 सीट पर ही जीत मिली। यानी यह गढ़ भी ढह गया।

मायने- लोकसभा चुनाव में 18 सीटें हो सकती है कम:
इन परिणाामों को देखे तो भाजपा को 18 लोकसभा सीटों पर बड़ा नुकसान होने की संभावना है। कांग्रेस को फायदा।

मायने- नोटा की ताकत इस बार नए रूप में
- पिछले चुनाव में ऐसे 5 बड़े नेता थे, जिनकी हार-जीत के अंतर से नोटा वोट ज्यादा था। इस बार यह आंकड़ा बढ़कर नौ नेताओं पर पहुंच गया। यानी बड़े नामों काे हराने के लिए नोटा का उपयोग बढ़ रहा है।
- 2013 में 651510 वोट नोटा के थे। यानी कुल वोट का 1.90 प्रतिशत। इसने 230 में 56 सीटों पर प्रभाव डाला था। 18 सीटों पर जीत-हार के अंतर से ज्यादा नोटा था।
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