रायपुर. छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी लगभग तय है। शुरुआती रुझानों में कांग्रेस 64 सीटों पर और भाजपा 18 सीटों पर आगे है। आठ सीटें अन्य के खाते में जाती दिख रही हैं। राज्य के कुल चार विधानसभा चुनावों में यह पहला मौका होगा जब कांग्रेस सरकार बनाएगी और उनका पहला निर्वाचित मुख्यमंत्री होगा। मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद डॉ. अजीत जोगी राज्य के इकलौते गैर-भाजपाई मुख्यमंत्री रहे। राज्य में 12 नवंबर और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान हुआ था। कुल 76.35% वोटिंग हुई थी।
पहली बार किसी पार्टी को 50 से ज्यादा सीटें
कुल सीटें 90
बहुमत : 46
दल | 2018 | 2013 | 2008 | 2003 |
भाजपा | 23 | 49 (42.3%) | 50 (43.3%) | 50 (39.3%) |
कांग्रेस | 60 | 39 (41.6%) | 38 (38.6%) | 37 ( 36.7) |
बसपा | 7 | 2 (4.4%) | 2 (6.1%) | 1 (4.4%) |
अन्य | 0 | 1 (5.5%) | - | 1 (7%) 0 |
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 10 ( 49.7% वोट शेयर) और कांग्रेस ( 39.1% वोट शेयर) को एक सीट मिली थी। |
मुख्यमंत्री के रेस में कौन?
कांग्रेस ने किसी भी नेता का नाम आगे नहीं किया। हालांकि, इस दौड़ में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और पार्टी नेता टीएस सिंह जूदेव व चरण दास महंत भी हैं। इनके अलावा कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रामदयाल उइके, डॉक्टर शिव डहरिया और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे के नाम की भी चर्चा रही। भाजपा ने तीन बार के मुख्यमंत्री रमन सिंह के चेहरे पर चुनाव लड़ा था।
छत्तीसगढ कभी कांग्रेस का गढ़ था
एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग कर नए राज्य का दर्जा मिला था। इससे पहले अविभाजित मध्यप्रदेश में आपातकाल के बाद कांग्रेस को छह में से चार 1980, 1985, 1993 और 1998 के चुनाव में जीत मिली थी। चारों चुनाव में छत्तीसगढ़ इलाके की जनता ने कांग्रेस को बढ़त दिलाने में मदद की थी। यहां की 90 में से 1980 में 77, 1985 में 74, 1993 में 54 और 1998 में 48 सीटें कांग्रेस को मिली थीं।
भाजपा और कांग्रेस ने क्या रणनीति बनाई थी
नए चेहरों को दी तरजीह : भाजपा ने 15 विधायकों के टिकट काटकर 52 पुराने और 38 नए चेहरे उतारे। उधर, कांग्रेस ने 8 विधायकों के टिकट काटे। 47 पुराने और 54 नए चेहरों को टिकट दिया।
मोदी से 5 गुना रैली राहुल ने की : राज्य में पहले चरण में 12 और दूसरे में 20 नवंबर को वोटिंग हुई थी। आखिरी 20 दिनों में भाजपा की ओर से सीएम रमन सिंह ने करीब 70 रैली कीं। मोदी ने 4 और अमित शाह ने 17 रैली और 3 रोड शो किए। राहुल गांधी ने करीब 20 जनसभाओं के जरिए राज्य की 90 में से 60 सीटों को कवर किया। सिद्धू, नगमा, आरपीएन, सिंहदेव भी स्टार प्रचारक रहे।
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