नई दिल्ली. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा संवैधानिक नैतिकता की संकल्पना अपनाने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अगर शीर्ष अदालत की एक बेंच दो तरह की बातें करे, एक में अनुमति दी जाए है जबकि दूसरी में नहीं तो यह खतरनाक है। वे सबरीमाला मुद्दे पर 28 सितंबर को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोल रहे थे।
वेणुगोपाल शनिवार को यहां जे दादाचनजी स्मारक संवाद में लोगों काे संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सबरीमाला मामले में जस्टिस इंदू मल्होत्रा के फैसले को सूझबूझ वाला बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘सबरीमला मामले में जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने संवैधानिक नैतिकता को माना और कहा कि हर व्यक्ति को अपने धर्म के पालन का अधिकार है और कोई इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता, अदालतें धर्म के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं।’'
तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली पांच जजों की बेंच ने 28 सितंबर को सबरीमाला मंदिर मामले में 4:1 से फैसला दिया था। इसमें सभी उम्र की महिलाओं को इस मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई थी।
अटॉर्नी जनरल ने कहा, ‘‘मैं यह सब इस डर के कारण कह रहा हूं कि संवैधानिक नैतिकता की इस नई संकल्पना का अब कानूनों को जांचने के उद्देश्य से इस्तेमाल किया जा सकता है।’’
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