Friday, 23rd May 2025

Interesting story: जब फकीर को पत्नी ने ऐसे दिया फकीरी का ज्ञान

Fri, Dec 7, 2018 9:40 PM

मल्टीमीडिया डेस्क। शाह शूजा की पुत्री अत्यंत धर्मपरायण वैराग्यपूर्ण भावनाओं से ओतप्रोत थी। उसके विरक्त भावों के देखकर शाह शूजा ने उसका विवाह एक ज्ञानी फकीर से कर दिया, ताकि उसकी धर्मपरायण भावनाओं को कभी ठेस नहीं पहुंचे और वह अपनी इच्छानुसार अपना जीवन व्यतीत कर सके।

शाह शुजा की पुत्री अपने फकीर पति के साथ खुशी-खुशी उसकी कुटिया में आ गई और कुटिया की सफाई करने लगी। कुटिया की छत में उसने एक छींका लटकते हुए देखा, जिसमें दो सूखी रोटियां रखी थी। उसने आश्चर्य से अपने पति की ओर देखा और पूछा, 'ये रोटियां यहां पर क्यों रखी है?

कल हम एक-एक रोटी खा लेंगे।' फकीर ने उत्तर दिया। शौहर की बात सुनकर वह हंस पड़ी और बोली 'मेरे पिता ने तो आपको बैरागी और अपरिग्रही फकीर समझकर ही मेरा निकाह आपके साथ किया था, लेकिन आपको तो कल के खाने की फिक्र आज से ही है। चिंता करने वाला सच्चा फकीर नहीं हो सकता है। अगले दिन की फिक्र के घास खाने वाले जानवर भी नहीं करते हैं, फिर हम तो मनुष्य है मिला तो खा लेंगे, नहीं तो आनंद से खुदा की बंदगी करेंगे।'

फकीर ने अपनी पत्नी को अपने से भी दस कदम आगे समझा और उसके आगे मन ही मन नतमस्तक हो गया और कहा कि 'बेगम आज तुमने मेरी आंखे खोल दी।'

यानी सिर्फ कहने से कोई सन्यासी या फकीर नहीं हो जाता है। बल्कि उनके आदर्शों को जीवन में उतारना पड़ता है। एक राजा की बेटी ने राजमहल का त्याग फकीर की कुटिया में आती है, ले्किन फकीर को पेट पालने की चिंता सता रही है।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery