रायगढ़. चुनाव के बाद मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची सारंगढ़ से प्रत्याशी केराबाई मनहर भावुक हो गईं। वे फूट-फूटकर रोने लगीं। इस बात का खुलासा खुद पार्टी के एक नेता ने किया है। पार्टी अनुशासन के कारण नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर उन्होंने बताया कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष डा. जवाहर नायक, उपाध्यक्ष ज्योति पटेल, प्रदेश पदाधिकारी जगन्नाथ पाणिग्राही के खिलाफ शिकायत की। केराबाई शुक्रवार को रायपुर बैठक में इन नामों के साथ कुछ और नाम दे सकती हैं।
चुनाव के मतगणना से पहले 7 दिसंबर को भाजपा की रायपुर में बैठक प्रस्तावित है। इस बैठक में आगे की रणनीति के साथ ही तमाम लूप होल को दूर करने को लेकर भी चर्चा होगी। बैठक में मुख्यमंंत्री, प्रदेश प्रभारी और बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ प्रत्याशी और अन्य पदाधिकारी शामिल होंगे।
इसी बैठक में विधानसभा चुनाव में जिले के पांचों प्रत्याशी पार्टी के खिलाफ काम करने वाले लोगों की सूची सौंपेंगे। हर चुनाव के बाद बैठक में इस तरह भितरघातियों की सूची सौंपी जाती है लेकिन इस बार दो प्रत्याशी तो जिला बीजेपी के प्रमुख पदाधिकारियों के खिलाफ ही शिकायत करेंगे।
रायगढ़, सारंगढ़ और धरमजयगढ़ के प्रत्याशियों को भितरघात की ज्यादा आशंका है। चुनाव परिणाम से पहले हार-जीत के अनुमान के लिए 90 विधानसभा सीटों के प्रत्याशियों की बैठक रायपुर में होगी। सूत्रों के मुताबिक रायगढ़ प्रत्याशी रोशनलाल बीजेपी ने जिला महामंत्री उमेश अग्रवाल, रंजू संजय, त्रिवेणी डहरे, अनुपम पाल समेत कुल 13 लोगों की शिकायत करेंगे।
लैलूंगा के प्रत्याशी सत्यानंद राठिया तीन लोगों के खिलाफ करेंगे। बैठक में खरसिया प्रत्याशी ओमप्रकाश चौधरी भी 7-8 लोगों के खिलाफ पार्टी के विरुद्ध काम करने और उटपटांग हरकत से पार्टी को नुकसान पहुंचाने की शिकायत कर सकते हैं। धरमजयगढ़ प्रत्याशी लीनव राठिया की सूची में भी 4-5 नाम हैं, वे पार्टी फंड और उनके द्वारा दिए गए रुपए प्रचार में खर्च नहीं करने का भी आरोप भी लगा सकती हैं।
2003, 2008 या 2013 के चुनावों में भी बीजेपी के प्रत्याशियों ने अपने विरुद्ध काम करने वाले पार्टी नेता व कार्यकर्ताओं की शिकायत की थी। भितरघातियों के खिलाफ अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। आलाकमान प्रत्याशी का दिल रखने के लिए पार्टी विरोधियों की सूची लेकर कार्रवाई का भरोसा दिलाते हैं मगर करते कुछ नहीं हैं।
इतना जरूर है कि इन नेताओं की बार-बार शिकायत से संगठन में प्रमोशन और तवज्जो मिलना बंद हो जाता है। प्रदेश में नवंबर में विधानसभा चुनाव के छह महीने बाद ही लोकसभा चुनाव होते हैं। पार्टी को आम चुनाव के लिए भी कार्यकर्ताओं की जरूरत होती है इसलिए कड़ी कार्रवाई के बजाय समझाइश या फटकार लगाकर औपचारिकता पूरी कर लेते हैं।
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