Friday, 6th June 2025

मध्य प्रदेश / ईवीएम विवाद, चुनाव के बाद हर दिन सामने आया एक नया मामला

Wed, Dec 5, 2018 8:33 PM

 

  • मध्य प्रदेश में ईवीएम से छेड़छाड़ और सुरक्षा को लेकर हंगामा 
  • कमलनाथ ने दिल्ली में मुख्य चुनाव आयुक्त से की मुलाकात

 

भोपाल। चुनाव के बाद राजनीतिक दल के नेता आराम के मूड में रहते हैं। लेकिन, इस बार मध्य प्रदेश में चुनाव के बाद भी राजनीति में गर्माहट है। वजह 28 नवबंर को मतदान के बाद ईवीएम को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश हर जिले में हो-हल्ला मचा रखा है। 

इसकी शुरूआत सागर जिले के खुरई विधानसभा क्षेत्र से शुरू हुई। यहां की खुरई विधानसभा क्षेत्र की रिजर्व में रखी गई ईवीएम 48 घंटे बाद स्ट्रांग रूम लाई गई। ईवीएम के सागर हेडक्वॉर्टर पहुंचने पर यहां के स्ट्रांग रूम में दो घंटे से ज्यादा समय के लिए सीसीटीवी कैमरा बंद हो गया था। इस पर कांग्रेस और दूसरी पार्टियों ने जमकर हंगामा किया। घटना के दूसरे दिन ईवीएम पहुंचने में देरी होने के मामले में सागर के एक नायब तहसीलदार को निलंबित कर दिया गया है। खुरई से सागर 37 रिजर्व ईवीएम डिलिवर करने के लिए 25 किलोमीटर का रास्ता तय करने में एक स्कूल बस समेत दो गाड़ियों को दो दिन का वक्त लग गया। स्कूल बस पर कोई रजिस्ट्रेशन नंबर भी नहीं था। 

 

क्या कहते हैं नियम?
स्ट्रांग रुम

  • वोटिंग मशीनें पूरी सुरक्षा के स्ट्रांग रुम तक पहुंचाई जाएंगी और उनकी 24X7 निगरानी होगी।
  • स्ट्रांग रुम की सीलिंग के वक्त राज्य और केंद्र की मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के नुमाइंदे - मौजूद रहेंगे. वो चाहें तो अपनी सील भी स्ट्रॉन्ग रूम के ताले पर लगा सकते हैं।
  • स्ट्रांग रुम डबल लॉक सिस्टम वाला होना चाहिए जिसका सिर्फ एक एंट्री प्वाइंट हो। 
  • स्ट्रांग रुम की खिड़कियों तक को सील किया जाएगा ताकि कोई उसमें घुस ना सके।
  • एंट्री प्वाइंट की चौबीस घंटे सीसीटीवी कवरेज होगी जिसका आउटपुट बाहर किसी स्क्रीन पर दिखना चाहिए। 
  • सिक्योरिटी गार्ड एक लॉग बुक मेनटेन करेगा जिसमें स्ट्रांग रुम के आसपास आने वाले लोगों के डिटेल्स, आने का वक्त और ठहरने की मियाद तक दर्ज होगी। अब आने वाले भले ही ऑब्जर्वर हों, चुनाव अधिकारी हों, इलाके का एसपी हो या फिर पॉलिटिकल पार्टियों के नुमाइंदे। यानी चौबीस घंटे, चौकस इंतजाम। 

 

इस नियम का सरेआम उल्लंघन : भोपाल के सीसीटीवी कैमरे फेल होने के मामले में चुनाव आयोग की सफाई है कि अचानक बिजली चली गई जबकि गौर करने वाली बात है कि उसी चुनाव आयोग के अपने नियम कहते हैं कि ईवीएम की मौजूदगी के दौरान स्ट्रॉन्ग रूम में बिजली किसी कीमत पर ना जाए। ये सुनिश्चित करने के लिए चीफ इलेक्शन ऑफिसर को चाहिए कि वो संबंधित बिजली बोर्ड के चेयरमैन को लिखकर सूचित करे। बिजली चली भी गई तो जेनेरेटर का इंतजाम होना चाहिए ताकि कैमरा रिकॉर्डिंग में कोई गैप ना आए।

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