भोपाल। चुनाव के बाद राजनीतिक दल के नेता आराम के मूड में रहते हैं। लेकिन, इस बार मध्य प्रदेश में चुनाव के बाद भी राजनीति में गर्माहट है। वजह 28 नवबंर को मतदान के बाद ईवीएम को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश हर जिले में हो-हल्ला मचा रखा है।
इसकी शुरूआत सागर जिले के खुरई विधानसभा क्षेत्र से शुरू हुई। यहां की खुरई विधानसभा क्षेत्र की रिजर्व में रखी गई ईवीएम 48 घंटे बाद स्ट्रांग रूम लाई गई। ईवीएम के सागर हेडक्वॉर्टर पहुंचने पर यहां के स्ट्रांग रूम में दो घंटे से ज्यादा समय के लिए सीसीटीवी कैमरा बंद हो गया था। इस पर कांग्रेस और दूसरी पार्टियों ने जमकर हंगामा किया। घटना के दूसरे दिन ईवीएम पहुंचने में देरी होने के मामले में सागर के एक नायब तहसीलदार को निलंबित कर दिया गया है। खुरई से सागर 37 रिजर्व ईवीएम डिलिवर करने के लिए 25 किलोमीटर का रास्ता तय करने में एक स्कूल बस समेत दो गाड़ियों को दो दिन का वक्त लग गया। स्कूल बस पर कोई रजिस्ट्रेशन नंबर भी नहीं था।
क्या कहते हैं नियम?
स्ट्रांग रुम
इस नियम का सरेआम उल्लंघन : भोपाल के सीसीटीवी कैमरे फेल होने के मामले में चुनाव आयोग की सफाई है कि अचानक बिजली चली गई जबकि गौर करने वाली बात है कि उसी चुनाव आयोग के अपने नियम कहते हैं कि ईवीएम की मौजूदगी के दौरान स्ट्रॉन्ग रूम में बिजली किसी कीमत पर ना जाए। ये सुनिश्चित करने के लिए चीफ इलेक्शन ऑफिसर को चाहिए कि वो संबंधित बिजली बोर्ड के चेयरमैन को लिखकर सूचित करे। बिजली चली भी गई तो जेनेरेटर का इंतजाम होना चाहिए ताकि कैमरा रिकॉर्डिंग में कोई गैप ना आए।
Comment Now