Saturday, 24th May 2025

कोयले की कालिख / राजस्थान सरकार ने अडानी ग्रुप को सौंपा खुद का कोल ब्लॉक

Sat, Dec 1, 2018 8:28 PM

 

  • सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आरोप, केंद्र और राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को नोटिस
  • याचिका में आरोप है कि ज्वाॅइंट वेंचर नहीं करना था, इसके बावजूद किया, अडानी की 74% हिस्सेदारी 

 

रायपुर/बिलासपुर (छत्तीसगढ़). छत्तीसगढ़ के सरगुजा के उदयपुर विकासखंड के परसा ईस्ट केतेबसान में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित कोल ब्लॉक से ज्वाइंट वेंचर के जरिए अडानी इंटरप्राइजेस लिमिटेड को लाभ पहुंचाने का आरोप है।

 

इस संबंध में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड और परसा ईस्ट एंड केतेबसान कॉलरीज लिमिटेड को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी। याचिका छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निवासी सुदीप श्रीवास्तव ने एडवोकेट प्रणव सचदेवा के जरिये सुप्रीम कोर्ट में पेश की।

 

दूसरी ओर, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के कार्यवाहक सीएमडी ने तो सुप्रीम कोर्ट के नोटिस की जानकारी होने से इनकार किया, लेकिन डायरेक्टर ने यह तो माना कि ज्वाइंट वेंचर किया गया है, लेकिन साथ में यह भी कहा कि माइन्स या माइनिंग को सबलेट नहीं किया गया है।

 

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि ज्वाइंट वेंचर के रास्ते अडानी इंटरप्राइजेस लिमिटेड को फायदा पहुंचाया जा रहा है। सरकार को हर साल 9 हजार करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। राजस्थान के लोगों को महंगे दरों पर बिजली खरीदनी पड़ रही है। इस मामले में कमर्शियल टर्म्स पर गड़बड़ियां की गई हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले और नए विद्युत एक्ट के नियमों का उल्लंघन है।

 

इस कोल ब्लाक में अडानी की 74 फीसदी और राजस्थान विद्युत कंपनी की 26 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके चलते ऐसी स्थिति आ गई है कि राजस्थान विद्युत कंपनी अपने ही कोल ब्लाक से कोयला अडानी से खरीद रही है। याचिका पर जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस एके सीकरी की बेंच ने सुनवाई की और नोटिस जारी किया।

 

2007 में राजस्थान राज्य बिजली उत्पादन निगम को आवंटित हुआ ब्लॉक
याचिका छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निवासी सुदीप श्रीवास्तव ने एडवोकेट प्रणव सचदेवा के जरिये सुप्रीम कोर्ट में पेश की। मंगलवार को याचिका में सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने पक्ष रखते हुए बताया कि सरगुजा के उदयपुर ब्लॉक स्थित परसा ईस्ट एंड केतेबसान क्षेत्र में 2007 में कोल ब्लॉक का आवंटन राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को किया गया था।

 

सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में इस ब्लॉक सहित देशभर में 214 ब्लॉक निरस्त किए
सुप्रीम कोर्ट ने 24 अगस्त 2014 को देशभर के 214 कोल ब्लॉक का आवंटन निरस्त कर दिया था, इसमें राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित ब्लॉक भी था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि कोल माइनिंग नेशनलाइजेशन एक्ट 1973 के तहत माइनिंग राइट्स किसी प्राइवेट कंपनी को ट्रांसफर करने के लिए बनाई गई ज्वाइंट वेंचर कंपनी गैरकानूनी होगी।

 

फिर बिजली निगम को मिला ब्लॉक, रोक के बाद भी ज्वाइंट वेंचर किया
केंद्र ने 31 मार्च 2015 को कोल माइंस स्पेशल प्रोविजंस एक्ट लागू किया। नया एक्ट लागू होने के बाद इस ब्लॉक का आवंटन फिर से सरकारी क्षेत्र की कंपनी राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को हुआ। इसके बाद निगम ने खुद को आवंटित कोल ब्लॉक से कोयला खरीदने के लिए ज्वाइंट वेंचर कंपनी परसा ईस्ट केतेबसान कॉलरीज लिमिटेड से एग्रीमेंट किया।

 

खुद का ब्लॉक, फिर भी अडानी से कोयला खरीद

ज्वाइंट वेंचर कंपनी में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की 26% और अडानी इंटरप्राइजेस लिमिटेड की 74% भागीदारी है। राजस्थान सरकार ज्वाइंट वेंचर कंपनी से कोल इंडिया द्वारा अधिसूचित दर से अधिक कीमत पर कोयला खरीद रही है। रिजेक्ट प्रोडक्शन के नाम पर 29% से अधिक कोयला पीकेसीएल को दिया जा रहा है। 

 

राजस्थान विद्युत उत्पादन कंपनी की दलील

 

माइन्स या माइनिंग को सबलेट नहीं किया और कर भी नहीं सकते हैं : राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के कार्यवाहक सीएमडी पी. रमेश का कहना है कि मैंने आज ही चार्ज संभाला है। सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बारे में जानकारी नहीं है। डायरेक्टर (प्रोजेक्ट) पी.एस. आर्य का कहना है कि वहां की माइन्स राज्य विद्युत उत्पादन निगम की है। लेकिन माइनिंग का काम उत्पादन निगम व अडानी इंटरप्राइजेस लि. के जॉइंट वेंचर में हो रहा है। माइन्स या माइनिंग को सबलेट नहीं किया है, कर भी नहीं सकते हैं।
 

कोयला घोटाला मामले में सजा 3 दिसंबर को

 

पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और पांच अन्य दोषी करार: नई दिल्ली: दिल्ली के एक कोर्ट ने पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और 5 अन्य आरोपियों को प. बंगाल में कोयला ब्लॉक आवंटन से जुड़े केस में भ्रष्टाचार और आपराधिक षड्यंत्र का दोषी करार दिया है। दोषियों में एक रिटायर्ड व एक सेवारत नौकरशाह भी है। सजा का ऐलान 3 दिसंबर को होगा। सीबीआई के विशेष जज भारत पराशर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद सीबीआई ने जांच में गोपनीयता नहीं बरती। जांच एजेंसी के अधिकारी बाहरी लोगों के साथ सूचनाएं साझा करते रहे। कोर्ट ने कहा कि उपयुक्त उपायों के लिए विचार उपलब्ध करवाए जा चुके हैं। कहीं ऐसा न हो कि आपराधिक न्याय प्रशासन का मजाक बन जाए।

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