हरेकृष्ण दुबोलिया, भोपाल. गुजरात बार्डर से सटे आलीराजपुर जिले में नवजात और एक साल से कम उम्र के बच्चों की खरीद-फरोख्त के मामले में अब तक 7 डॉक्टर समेत कुल 27 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। खरीदे-बेचे गए 13 बच्चों को पुलिस ने बरामद कर लिया है, लेकिन बरामद किए गए बच्चों में से 7 को फिर उन्हीं लोगों और उनके परिजनों को सौंप दिया गया, जिन्होंने या तो इन बच्चों को खरीदा था या इन्हें बेचने में शामिल थे।
इस पूरे मामले की जांच की निगरानी कर रहीं एडीशनल एसपी सीमा अलावा के मुताबिक बच्चों की खरीद-फरोख्त में सबसे बड़ा नाम गुजरात के छोटा उदयपुर जिले के केशर अस्पताल के संचालक डॉ. राजू का आया है। अस्पताल के मैनेजर और दो नर्सों को भी गिरफ्तार किया है। अवांछित बच्चों को जन्म देने वाली अविवाहित युवतियों के बच्चों को इस अस्पताल से ही नि:संतान दंपत्तियों को दलाल के माध्यम से बेचे जाने की बात सामने आई है।
बच्ची केयर टेकर से काफी घुल मिल गई है :
आलीराजपुर पुलिस ने 17 नवंबर को 12 माह की एक बच्ची गुड़िया (परिवर्तित नाम) को रिकवर किया था। इस बच्ची के जैविक माता-पिता का अब तक पता नहीं चल सका है। गुड़िया को नानपुर गांव के पुष्पेंद्र वाणी ने दलाल के जरिए खरीदा था। पुलिस ने गुड़िया को जिला अस्पताल के एनआरसी केंद्र में भर्ती कराया था।
वहीं पुष्पेंद्र वाणी को गिरफ्तारी के बाद जेल भेज दिया गया था, लेकिन बाल कल्याण समिति ने 19 नवंबर को जल्दबाजी में आरोपी पुष्पेंद्र वाणी की पत्नी जयबाला वाणी को गुड़िया को केयर टेकर के रूप में सौंप दिया। सीडब्ल्यूसी ने इस फैसले के पीछे तर्क दिया कि बच्ची केयर टेकर से काफी घुल मिल गई है, इसलिए बच्ची का सर्वोत्तम हित इसी में है, जबकि सीडब्ल्यूसी ने अपने फैसले में यह जिक्र नहीं किया कि जिस महिला को बच्चा सौंपा जा रहा है, वह आरोपी की पत्नी है।
ऐसे में बदले हुए हालात में बच्ची को आरोपी के परिजनों को सौंपना सवाल खड़ा करता है। हमने इस संबंध में अलीराजपुर सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष सुधीर जैन से बात की तो उन्होंने सवाल सुनने के बाद फोन काट दिया, इसके बाद फोन को स्विचऑफ कर लिया। कई बार उन्हें कॉल किया, लेकिन फोन स्विच ऑफ बताता रहा।
स्टिंग ऑपरेशन में 11 नवंबर को हुआ था खुलासा :
आलीराजपुर में बच्चों की तस्करी का खुलासा 11 नवंबर को पुलिस और भोपाल की आवाज संस्था के एक स्टिंग ऑपरेशन में हुआ था। शैलेंद्र राठौर को बच्चा बेचते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।
फैसले के खिलाफ आवाज संस्था ने की अपील :
पुलिस द्वारा बरामद बच्चों को आरोपियों के परिजनों को सौंपे जाने के सीब्डल्यूसी के फैसले के खिलाफ आवाज संस्था के प्रशांत दुबे ने अपीलेंट अधिकारी (कलेक्टर कोर्ट) में अपील की है।
बच्चों को आरोपियों के परिजनों को देने का फैसला सीडब्ल्यूसी का है
अब तक हम 27 लोगों को बच्चों की खरीद-फरोख्त के मामले में गिरफ्तार कर चुके हैं। 13 बच्चे रेसक्यू कर लिए गए हैं। जांच जारी है, जैसे-जैसे सबूत मिल रहे हैं, आरोपियों को चिह्नित कर गिरफ्तार किया जा रहा है। जहां तक कुछ बच्चों को आरोपियों के परिजनों को देने की बात है, वह फैसला सीडब्ल्यूसी ने लिया है।- सीमा अलावा, एएसपी, अलीराजपुर
ये फैसला बच्चों की सुरक्षा के साथ बड़ी चूक साबित हो सकता है
ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार बच्चों को आरोपियों को सौंपा जाना, उनकी सुरक्षा के साथ बड़ी चूक साबित हो सकता है, क्योंकि अपराध के खुलासे के बाद उनके परिजनों की भावनाएं बदल जाती हैं और बच्चे काफी छोटे हैं, जो अपने साथ होने वाली परेशानी को बयां नहीं कर पाएंगे। सीडब्ल्यूसी के फैसलों के खिलाफ अपील कर सभी बच्चों को तत्काल आरोपियों के परिजनों से मुक्त कराने की मांग की है। - प्रशांत दुबे, संचालक आवाज संस्था, भोपाल
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