नई दिल्ली. इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएल एंड एफएस) के 7 भारतीय कर्मचारियों को इथोपिया में बंधक बना लिया गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इथोपिया के लोकल कर्मचारी जिन्हें उनके काम का भुगतान नहीं किया गया उन्होंने तीन अलग-अलग जगहों पर भारतीय कर्मचारियों को 25 नवंबर से बंधक बना रखा है। पीड़ितों ने ईमेल के जरिए सरकार को सूचना भेजी है। बताया जा रहा है कि विदेश मंत्रालय इस मामले की जांच कर रहा है।
पीड़ितों ने जानकारी दी है कि इथोपिया की पुलिस और अन्य अधिकारी वहां के स्थानीय लोगों का पक्ष ले रहे हैं। उन पर कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। भारत और स्पेन के ज्वाइंट वेंचर के तहत इथोपिया में चल रहे रोड प्रोजेक्ट रद्द होने की आशंका से वहां के स्थानीय कर्मचारी डरे हुए हैं।
पीड़ित कर्मचारियों के पत्र के मुताबिक आईएल एंड एफएस के मैनेजमेंट का कहना है कि आरबीआई ने फंड भेजने पर रोक लगा रखी है। इथीओपिया की राजधानी अदिस अबाबा में स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी का कहना है कि वहां की संबंधित संस्थाओं और आईएल एंड एफएस के प्रबंधन से संपर्क में हैं।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक बंधक बनाए गए कर्मचारी सुखविंदर सिंह खोखर के बेटे का कहना है कि उसके पिता भारतीय दूतावास के संपर्क में हैं। इथोपिया के लोकल वर्कर्स को भुगतान करने की कोशिशें की जा रही हैं।
आईएल एंड एफएस पिछले कई महीनों से लोन पेमेंट में डिफॉल्ट कर रही है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में अपील कर सरकार ने एक अक्टूबर को आईएल एंड एफएस का नियंत्रण अपने हाथ में लिया था। कंपनी पर 91,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। जिसकी वजह से वह डूबने की कगार पर पहुंच गई थी।
आईएल एंड एफएस इंफ्रा, फाइनेंस और ट्रांसपोर्ट जैसे सेक्टर में काम करती है। इसे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) का दर्जा हासिल है।
साल 1987 में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया और हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी ने इंफ्रा प्रोजेक्ट्स को कर्ज देने के लिए आईएल एंड एफएफ कंपनी बनाई थी।
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