नई दिल्ली. वामपंथी दलों की अगुआई में देशभर के 35 हजार किसान संसद भवन के सामने धरना देने पहुंचे। इतनी बड़ी रैली के दौरान प्रशासन ने महज 3500 पुलिसकर्मियों को तैनात किया है। किसान कर्जमाफी, फसलों के दाम में वृद्धि की मांग कर रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया और खेती पर संकट को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की।
धरने में शामिल हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ''आज एक वैकल्पिक सरकार की जरूरत है। किसान मोदी सरकार को हटाएंगे और ऐसी सरकार लाएंगे, जो उनके हित में नीतियां बनाए। हम महाभारत के पांडवों की तरह मोदी सरकार को हराएंगे। कौरव 100 भाई थे, इनमें से दो के नाम ही लोग जानते हैं दुर्योधन और दुशासन। भाजपा भी कहती है कि हम इतनी बड़ी पार्टी हैं, लेकिन उनके बाकी नेताओं को कोई नहीं जानता। दुर्योधन और दुशासन की तरह मोदी-शाह का नाम ही चलता है।''
प्रदर्शन में राकांपा चीफ शरद पवार और लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव शामिल हुए। इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारुक अब्दुल्ला, तृणमूल के दिनेश त्रिवेदी और अन्य नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है।
गुरुवार को निकाला था 26 किलोमीटर लंबा मार्च
किसानों ने गुरुवार को भी 26 किलोमीटर लंबा मार्च निकाला था। इसमें बिहार, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक आदि राज्यों किसान शामिल थे। इस दौरान स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर भी शामिल हुईं।
प्रदर्शन में 200 से ज्यादा संगठन शामिल
ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के संयोजक हन्नान मोल्लाह ने बताया कि इन शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में देश के 207 छोटे-बड़े किसान संगठन शामिल हैं। यह भारत के इतिहास में पहला मौका होगा, जब 200 से ज्यादा किसान संगठन एक बैनर के तले विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसानों के मार्च को लेकर दिल्ली पुलिस ने खास इंतजाम किए हैं। कॉन्स्टेबल से लेकर सब इंस्पेक्टर रैंक के कुल 3500 पुलिसकर्मियों, बाहरी फोर्स की 21 कंपनी जिनमें 2 महिला कंपनी शामिल, इंस्पेक्टर से लेकर अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त रैंक के कुल 166 अफसरों को इस स्पेशल अरेंजमेंट ड्यूटी में लगाया गया है। कुछ जरूरी पुलिस थानों में रिजर्व पुलिस भी एक्टिव मोड पर रहेगी। स्पेशल सीपी नार्थ और साउथ सुपरविजन करेंगे। दोनों रेंज के संयुक्त पुलिस आयुक्त हालात पर नजर बनाए रखेंगे।
अक्टूबर में भी दिल्ली में किसान आंदोलन हुआ था
इससे पहले अक्टूबर में किसानों ने दिल्ली में कर्जमाफी, गन्ना का बकाया समर्थन मूल्य और स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिशों को तुरंत लागू करने की मांगों को लेकर धरना दिया था। इस दौरान पुलिस और किसानों में झड़पें भी हुई थीं। हालांकि, सरकार से बातचीत के बाद किसान संगठनों ने आंदोलन खत्म कर दिया था।
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