लाहौर. भारत के बाद पाकिस्तान में भी बुधवार को सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल करतारपुर साहिब तक जाने वाले कॉरिडोर की नींव रखी गई। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कॉरिडोर का शिलान्यास किया। इस मौके पर आतंकी हाफिज सईद का करीबी और खालिस्तान समर्थक उग्रवादी गोपाल चावला भी मौजूद था। समारोह में वह पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ हाथ मिलाता भी दिखा।
भारत से इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, हरदीप पुरी और पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को आमंत्रित किया गया था। इस फैसले के लिए सिद्धू ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और भारत सरकार की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा- मेरे यार, दिलदार इमरान खान का शुक्रिया। भारत सरकार और इमरान ने पुण्य का काम किया है। जब भी करतारपुर साहब लांगे का इतिहास लिखा जाएगा, (इमरान) खान साहब पहले पन्ने पर आपका नाम लिखा जाएगा। इस कदम को आतंकवाद और राजनीति से दूर रखें। उन्होंने कहा कि संपर्क बढ़ेगा तो संदेह खत्म होगा। खून-खराबा बंद होना चाहिए।
दो दिन पहले भारत में हुआ था शिलान्यास
इससे पहले करतारपुर कॉरिडोर के एक हिस्से का शिलान्यास सोमवार को भारत में हुआ था। पाकिस्तान में हुए कार्यक्रम में भारत से पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को आमंत्रण भेजा था। अमरिंदर ने आमंत्रण ठुकरा दिया था। स्वराज ने तेलंगाना चुनाव में प्रचार का हवाला देकर वहां जाने से इनकार कर दिया था। उनकी जगह केंद्र से पुरी और बादल को भेजने का फैसला किया गया।
गुरुद्वारा दरबार साहिब को डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ेगा कॉरिडोर
यह कॉरिडोर करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ेगा।
इंटरनेशनल बाॅर्डर तक बनाया जाएगा कॉरिडोर
भारत ने 20 साल पहले इस कॉरिडोर को बनाने का प्रस्ताव दिया था। हाल ही में दोनों देशों ने इस कॉरिडोर को बनाने पर सहमति जताई। यह गलियारा गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक स्थान से इंटरनेशनल बॉर्डर तक बनाया जाएगा। भारत में इस कॉरिडोर का करीब दो किलोमीटर का हिस्सा और पाकिस्तान में करीब तीन किलोमीटर का हिस्सा होगा। इसके निर्माण में करीब 16 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। चार महीने में इसे बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
गुरुनानक देवजी ने करतारपुर साहब में 18 साल बिताए थे
गुरुनानक देवजी ने करतारपुर साहब में अपने जीवन के 18 साल बिताए थे। यह भारत की सीमा से कुछ किलोमीटर अंदर पाकिस्तान की सीमा पर है। इस कॉरिडोर के बन जाने से लाखों सिख तीर्थयात्रियों को पवित्र स्थान पर जाने में मदद मिलेगी। फिलहाल, अभी यहां पर भारत की सीमा पर खड़े होकर दूरबीन की मदद से गुरुद्वारा के दर्शन की सुविधा है।
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