Thursday, 5th June 2025

कांटे की टक्कर / मसानी को जीजा से ज्यादा कांग्रेस के बागी से मिल रही चुनौती

Mon, Nov 26, 2018 6:14 PM

 

  • संजय सिंह मसानी वोट कितने बटोरेंगे, कहना मुश्किल है, पर वे तालियां खूब बटोर रहे हैं

 

वारासिवनी . कांग्रेस उम्मीदवार संजय सिंह मसानी वोट कितने बटोरेंगे, कहना मुश्किल है, पर वे तालियां खूब बटोर रहे हैं। मसानी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले हैं। चुनाव के ठीक पहले उन्होंने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा।

अपने लच्छेदार भाषण से वे लोगों को खींचने की कोशिश कर रहे हैं। शाम के धुंधलके में सड़क पर एक जगह अपनी गाड़ी रोककर ट्रक पर लगे सर्चलाइट की रोशनी में एक नुक्कड़ पर लोगों को बताते हैं कि क्यों उन्हें इस बार संजय को वोट देना चाहिए। “रुका हुआ पानी तो ढोर भी नहीं पीता।”

 
मसानी के लिए कांग्रेस का टिकट पाना जितना आसान था, जीतना उतना नहीं है। उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हैं भाजपा के मौजूदा विधायक योगेन्द्र निर्मल और कांग्रेस के दमदार बागी प्रदीप जायसवाल, जो इसी सीट से पहले तीन बार चुनाव जीत चुके हैं।


शिवराज मामा की जगह असली मामाजी को लाकर कांग्रेस ने खूब सुर्खियां बंटोरीं पर रणक्षेत्र में मसानी अकेले खड़े नजर आते हैं। कांग्रेस का झंडा उठाकर, कमलनाथ की तस्वीरों से सजे मंच पर पंजा के लिए वोट मांगने वाले मसानी कहते हैं- “यहां कांग्रेस नहीं लड़ रही है।” क्षेत्र के ज्यादातर कांग्रेस वर्कर बागी उम्मीदवार के लिए काम कर रहे हैं। कांग्रेस का एक भी बड़ा नेता अब तक वारासिवनी में झांकने भी नहीं आया है।


मसानी इस इलाके को पिछले पांच साल से  सेव रहे थे। वे वैसे तो महाराष्ट्र में गोंदिया के रहने वाले हैं पर अपने बहनोई के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही उन्होंने पड़ोसी बालाघाट को अपना कार्यक्षेत्र बनाया है। काफी अरसे से वे वारासिवनी को पोस रहे थे, जहां वे बुजुर्गों और शिक्षकों के पांव पखारने से लेकर गरीबों की आंख के ऑपरेशन कराने तक में भिड़े रहते थे पर ऐन मौके पर भाजपा ने टिकट देने से मना कर दिया। वे बताते हैं कि कांग्रेस में जाने के पहले वे अपनी मां को साथ लेकर बहनोई से मिलने भी गए थे- “मैंने उनको बताया था, धोखे में रखकर नहीं गया।”


वैसे, इस चुनाव में शिवराज सिंह ने उनके मनसूबे परास्त कर दिए हैं। अभी तक मैदान में भाजपा के बागी उम्मीदवार गौरव पारधी भी थे, जिसकी वजह से मसानी के चांस बन रहे थे पर इस सप्ताह शिवराज वारासिवनी आये और पांच मिनट में ही उन्होंने पारधी को घर बैठा दिया। यह जरूर है कि शालीनता बरतते हुए शिवराज ने अपने भाषण में एक बार भी अपने साले का नाम नहीं लिया।


वैसे तो मसानी भी अपने भाषणों में बहनोई का नाम नहीं लेते हैं और न ही उनपर हमला करते हैं पर वे अपने संबंधों का बखान करने से नहीं चूकते और लोगों को बताते हैं कि उनके आने से वारासिवनी इंटरनेशनल मैप पर आ गया है। “पूरे देश से पत्रकार आ रहे हैं। इसके पहले वे वारासिवनी क्यों नहीं आते थे। न्यू जर्सी तक में लोग इस इलेक्शन के बारे में बात कर रहे हैं।”


सफेद कलफदार कुरते-पायजामे पर कत्थई कलर का जैकेट पहने लम्बे कद के मसानी नाटकीय अंदाज में बोलते हैं। क्यों न बोलें, वे कुछ फिल्मों में अभिनय भी कर चुके हैं। लगभग हर सभा में वे एक ही सांस में धाराप्रवाह इलाके के 150 गांव के नाम लेते हैं, यह बताने के लिए वे यहां से कितने जुड़े हैं। खांटी नेता की तरह सिर में पीला फेंटा बांधकर गावरी समाज की पंगत में प्रसाद खाते हैं।


गले में कांग्रेस का तिरंगा दुपट्टा डाले बगल में खड़ी उनकी पत्नी ज्योति अपनी ननद की याद दिलाती हैं जो अपने पति के साथ साए के जैसा लगी रहती हैं। ज्योति मसानी का कहना हैं कि वे अलग से घूमकर प्रचार करती हैं- “जितना वे घूमते हैं, उससे ज्यादा मैं घूम रही हूं क्योंकि उनके पास सब जगह जाने के लिए समय नहीं है।”


कांग्रेस के रिबेल उम्मीदवार प्रदीप जायसवाल ने भाजपा की राह आसान कर दी है। उनसे मिल रही कड़ी चुनौती के बारे में मसानी कहते हैं- “केवल शरीर उड़ा है, पर आत्मा हमारे साथ है।” वे बार-बार दोहराते हैं कि “वोटर साइलेंट है”, और शायद लोग उनको पिछड़ता हुआ देख रहे हैं। उन्हें इस “साइलेंट वोटर” पर भरोसा है।

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