स्टार रेटिंग | 0.5/5 |
स्टारकास्ट | सनी देओल, प्रीति जिंटा, अमीषा पटैल, अरशद वारसी, श्रेयस तलपड़े, संजय मिश्रा, पंकज त्रिपाठी |
डायरेक्टर | नीरज पाठक |
प्रोड्यूसर | चिराग महेन्द्र धारीवाल |
संगीतकार | जीत गांगुली, राघव सच्चर, अमजद नदीम, संजीव-दर्शन, |
गीतकार | अमजद नदीम, शब्बीर अहमद, कुमार, नीरज पाठक, संजीव चतुर्वेदी |
गायक | सुखविंदर सिंह, राघव सच्चर, असीस कौर, यासिर देसाई, आकांक्षा शर्मा, अमित मिश्रा, रफ्तार, पावनी पांडे, शफाकत अमानत अली |
जॉनर | एक्शन काॅमेडी |
रनिंग टाइम | 2 घंटा 30 मिनट |
बॉलीवुड डेस्क. भैयाजी सुपरहिट इस साल की सबसे खराब फिल्म हो सकती है। निहायत कमजोर कहानी के बाद 2 घंटा 30 मिनट के ड्यूरेशन ने इस फिल्म का बेड़ा गर्क कर दिया। इस फिल्म को मत देखिए अगर आप सनी देओल के फैन हैं तब भी। अगर आप वाकई उनके फैन हैं तो इस फिल्म की जगह उनकी कोई पुरानी फिल्म को दोबारा देख लें।
ये हैं फिल्म की कहानी : भैयाजी दुबे यानी सनी देओल वाराणसी के लोकल डॉन हैं। जिनके सामने कोई भी खड़ा होने की हिम्मत नहीं कर सकता क्योंकि गुस्सा आने पर अपने आस-पास की चीजों और आदमियों को तोड़ देता है। उनकी पत्नी सपना दुबे यानी प्रीति जिंटा एक संदिग्ध महिला हैं जो हर बहस में उनके हर बहस में जीत जाती हैं। यही बात भैयाजी को परेशान करती है। इस सिचुएशन का फायदा उठाते हुए लालची फिल्म डायरेक्टर गोल्डी कपूर (अरशद वारसी) पत्नी को वापस लाने के लिए भैया जी की जिंदगी पर फिल्म बनाने के लिए उन्हें मना लेता है।
उलझता हुआ इंटरवल : गोल्डी इसके लिए एक औसत राइटर पोर्नो घोष (श्रेयस तलपड़े) को हायर करता है। फिल्म में मुख्य अभिनेत्री के लिए मल्लिका (अमिषा पटेल) को लिया जाता है जो कि भैयाजी को उनके पैसों के लिए फुसलाने की पूरी कोशिश करती है। भैयाजी को एक और उभरता हुआ डॉन हेलीकॉप्टर मिश्रा (जयदीप अहलावत) चुनौती देता है। उसके गैंग में गुप्ता (पंकज मिश्रा) है। संजय मिश्रा भैयाजी मनोचित्सक बने हैं जो भैयाजी की मदद कर रहे हैं।
कन्फ्यूजन पर कन्फ्यूजन : इसके बाद कहानी में एक दूसरे कैरेक्टर की एंट्री होती है जो है फनी देओल (डबल रोल में सनी देओल)। इसकी आवाज पतली और चलने का ढंग लड़कियों की तरह है। जो कि 'माचो' सनी देओल से अलग है। लेकिन 'फनी' कुछ समय बाद यह भूल जाता है और एक्चुअल सनी की तरह लगने लगता है। इसके अलावा फिल्म में कुछ भी नहीं है।
पावरफुल कास्ट लेकिन फ्लॉप स्टोरी : गदर, द हीरो जैसी फिल्मों से पहचान बनाने वाली सनी अमीषा और प्रीति की जोड़ी के कमबैक से लग रहा था, फिल्म पुराना जादू क्रिएट कर पाएगी। लेकिन निर्देशक नीरज पाठक ने एक सक्षम कास्ट होते हुए भी खराब फिल्म बनाई है। फिल्म की शुरूआत चिल्लाती हुई सपना दुबे की आवाज से होती है जिसमें वे दुबे के घर में कभी वापस न आने की बात कहती हैं और तब से ही फिल्म में शुरू हुआ शोर आखिर तक चलता रहता है।
प्रोडक्शन का काम भी बोरिंग : आकाश पांडे की कहानी कागज पर दिलचस्प लग सकती है क्योंकि एक डॉन अपने जीवन पर फिल्म बनाकर पत्नी को वापस लाने की कोशिश कर रहा है लेकिन खराब एक्जीक्यूशन के चलते ये एक पकाऊ फिल्म बन जाती है। डायलॉग (राज शांडिल्य के द्वारा लिखे) में इंटेलीजेंट ह्यूमर बहुत कम देखने को मिलता है जैसे कि जब डायरेक्टर गोल्डी कपूर अपने राइटर से कहता है कि वह एक राइटर है और उसे किसी से भी प्रशंसा की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। लेकिन पूरी फिल्म में मौजूद मूर्खता हर प्रकार की इंटेलीजेंसी पर भारी पड़ती है।
हद से ज्यादा बोझिल क्लाईमैक्स : फिल्म का क्लाइमैक्स बहुत बकवास है जिसमें सपना दुबे डूबकर मर गई हैं और कुछ घंटों के बाद दोबारा जिंदा हो जाती हैं क्योंकि उनकी बॉडी से पानी बाहर आ जाता है। अगर आप कुछ और ऐसे सीन देखना चाहते हैं तो स्क्रिप्ट (नीरज पांडे के द्वारा लिखी) में बेवकूफी दर्शाने वाले और भी सीन हैं।
कमबैक लायक नहीं थी फिल्म : सनी देओल दोनों किरदारों को निभाने में तालमेल बिठाने की कोशिश करते दिखते हैं लेकिन वे असफल हुए हैं। वे ज्यादातर सीन में अजीब दिखते हैं, एक्शन सीन को छोड़ कर। लंबे समय बाद प्रीति जिंटा को स्क्रीन पर देखकर अच्छा लगता है लेकिन यह फिल्म किसी के लिए भी कमबैक फिल्म नहीं होनी चाहिए। अच्छे कलाकारों की फुल कास्ट अरशद वारसी, जयदीप अहलावत, संजय मिश्रा के साथ एक बेहतर फिल्म बनाई जा सकती थी।
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