रायपुर. 18 साल से अधिक सभी लोगों के नाम मतदाता सूची में जोड़े जाएं और सभी मतदाता वोट करें, इसलिए निर्वाचन आयोग का अमला पूरे पांच साल लगा रहता है। आचार संहिता लागू होने के बाद भी आयोग और जिला प्रशासन की ओर से मतदाताओं को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया गया, फिर भी राज्य के एक हजार से ज्यादा वोटर मतदान नहीं कर सके।
अकेले दुर्ग जिले से मतदान के दिन चार सौ लोगों के नाम कटने की शिकायत मिली है। रिटायर्ड एडीजी राजीव माथुर ने भी अपने साथ बोरियाकला कॉलोनी के दस से पंद्रह परिवारों के नाम कटने की शिकायत दर्ज कराई थी। वैशालीनगर के बूथ क्रमांक 219 से 223 के बीच चालीस प्रतिशत लोगों के नाम नहीं होने की भी शिकायत आई है।
आयोग के अफसरों का कहना है कि 66509 लोगों ने 27 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन से पहले 31 जुलाई को प्रारूप मतदाता सूची में नाम हटाने के लिए आवेदन दिया था। यानी ये लोग दूसरे स्थान पर अपना नाम जुड़वाना चाहते थे। आयोग को 20 नवंबर को मतदान के दिन मिली शिकायतों के मद्देनजर यह माना जा रहा है कि सैकड़ों की संख्या में लोगों का नाम दूसरी जगह जुड़ नहीं पाया था, इसलिए वे वोट नहीं डाल सके।
मतदाता सूची में नाम जुड़वाने संशोधन, ट्रांसफर या हटवाने के लिए सालभर अभियान चलता है। इसके लिए ऑनलाइन या प्रत्यक्ष आवेदन दिए जा सकते हैं। आयोग की वेबसाइट के अलावा जिलों या तहसील में निर्वाचन कार्यालयों में आवेदन दिया जा सकता है।
मतदान के दिन दिनभर चले शिकायतों के दौर में वोटर लिस्ट से नाम कटने की सबसे ज्यादा शिकायतों के अलावा कुछ मतदान केंद्रों में कर्मचारी नहीं होने, टेंट या पंडाल की व्यवस्था नहीं होने और सेल्फी जोन नहीं होने के संबंध में भी शिकायतें आई थीं।
वोटिंग के दिन हेल्पलाइन सेंटर में राजधानी के अवंति विहार के कारोबारी प्रतापराय का नाम जब वोटर लिस्ट में नहीं मिला तो खुद ही हेल्पलाइन सेंटर में पहुंच गए थे। उन्होंने अपने परिवार के 8 लोगों का नाम ग्रामीण क्षेत्र में करने के लिए एक साल पहले अावेदन दिया था।
Comment Now