अयोध्या। रामनगरी में मंदिर समर्थकों की इंद्रधनुषी छटा बिखरी है। रविवार को प्रस्तावित धर्मसभा की तैयारी को अंतिम स्पर्श देने के लिए विहिप व भाजपा सहित संघ परिवार के अनेक घटक आस्तीन चढ़ाए हैं तो शनिवार को उद्धव ठाकरे के आगमन को लेकर शिवसैनिक युद्धस्तर पर सक्रिय हैं।
इन दो पाटों के बीच राममंदिर की दावेदारी कई ऐसे चेहरों व समूहों से सज्जित हो रही है, जो इसकी व्यापकता के परिचायक हैं। मिसाल के तौर पर पवन पांडेय हैं। 1991 में पड़ोस की अकबरपुर सीट से विधायक चुने गए पवन को छह दिसंबर, 92 को विवादित ढांचा ध्वंस के मामले में सीबीआइ ने प्रमुख आरोपी बनाया। ढांचा ध्वंस के बाद तत्कालीन विधानसभा भंग होने के साथ पवन को विधायकी से हाथ धोना पड़ा।
बाद में मंदिर की दावेदारी से उनकी राह जुदा हो गई पर धर्मसभा की तैयारी के साथ राममंदिर से उनका नाता फिर परिभाषित हो रहा है। वह गत सप्ताह से धर्मसभा को कामयाब बनाने के लिए सक्रिय हैं और 10 हजार लोगों के साथ शिरकत की तैयारी में हैं। रामभक्तों का इस्तकबाल 50 किलोमीटर दूर मवई चौराहा से शुरू होगा। मवई के ब्लॉक प्रमुख राजीव कुमार तिवारी के नेतृत्व में रामभक्तों का स्वागत ढोल-नगाड़ा के साथ होगा और उन्हें लंच पैकेट मुहैया कराने के साथ जरूरत के हिसाब से वाहन उपलब्ध कराया जाएगा।
मुस्लिम कारसेवक बजाएंगे घंटी
रामनगरी में बुधवार को मुस्लिम कारसेवक मंच के अध्यक्ष आजम खान की इंट्री हुई। उन्होंने विहिप व शिवसेना के नेताओं से भेंट करने के साथ एलान किया कि दोनों कार्यक्रमों में वह एक हजार मुस्लिमों के साथ शिरकत करेंगे और घंटी बजाकर मंदिर निर्माण का संदेश देंगे।
बाइक से दो हजार किलोमीटर का सफर
मुंबई के मोहन यादव मंदिर समर्थन की रोचक नजीर हैं। वह अपने युवा पुत्र के साथ बाइक से दो हजार किलोमीटर का सफर तय कर रामनगरी पहुंचे हैं। उनका मकसद शनिवार को रामनगरी पहुंच रहे शिवसेना प्रमुख के साथ मंदिर की आवाज बुलंद करना है।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के शनिवार को अयोध्या आगमन व रविवार को विहिप की धर्मसभा की तारीख निकट आने के साथ रामनगरी में हलचल बढ़ गई है।
पार्टी प्रमुख के अयोध्या आगमन की तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए बुधवार को शिवसेना संसदीय दल के नेता व राज्यसभा सदस्य संजय राउत रामनगरी पहुंचे। उन्होंने प्रस्तावित संत पूजन कार्यक्रम के लिए लक्ष्मण किला परिसर में भूमि पूजन किया, जबकि बड़ाभक्तमाल परिसर में विहिप की प्रस्तावित धर्मसभा की तैयारी निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है। करीब 15 एकड़ के मैदान का समतलीकरण किए जाने के बाद मंगलवार से मंच निर्माण शुरू कर दिया गया है। यहां ऐसा मंच तैयार किया जा रहा है, जिस पर सौ से अधिक वक्ता बैठ सकेंगे।
मैदान में एक लाख से अधिक रामभक्तों के बैठने की व्यवस्था होगी। विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा के अनुसार मंच पर संघ के सह सरकार्यवाह होसबोले, साध्वी ऋतंभरा, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य, स्वामी हंसदेवाचार्य, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास, युगपुरुष स्वामी परमानंद, विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार, उपाध्यक्ष चंपत राय आदि प्रमुख होंगे।
सरकार को जगाने आ रहे उद्धव : राउत
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के आगमन को सफल बनाने के लिए अयोध्या पहुंचे संजय राउत ने कहा कि हमें लंबे समय से इंतजार था कि बहुमत वाली ऐसी सरकार आएगी, जो रामलला का मंदिर बनाएगी, पर ऐसा नहीं हो पा रहा है। ठाकरे सरकार को जगाने के लिए ही अयोध्या आ रहे हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी भी दी कि रामलला बहुमत दे सकते हैं तो सत्ता छीन भी सकते हैं।
शिवसेना को नहीं मिला महंत नृत्यगोपाल का साथ
उद्धव ठाकरे के आगमन की तैयारियों को कामयाब बनाने के मिशन में लगी शिवसेना को तगड़ा झटका लगा है। शनिवार को पार्टी प्रमुख के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर लक्ष्मणकिला परिसर में भूमिपूजन के बाद शिवसेना संसदीय दल के नेता व राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने एलान किया था कि पार्टी प्रमुख के कार्यक्रम की अध्यक्षता रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास करेंगे। इस एलान के विपरीत सच्चाई यह है कि उनके सामने अध्यक्षता का कोई प्रस्ताव ही नहीं पेश हुआ। यह जानकारी बुधवार को स्वयं महंत नृत्यगोपालदास ने दी।
उन्होंने कहा, बगैर पूछे अध्यक्षता के लिए मेरे नाम का प्रयोग करना उचित नहीं है। उन्होंने विहिप की घोषणा के विपरीत शिवसेना के कार्यक्रम पर भी सवाल खड़ा किया। महंत नृत्यगोपालदास न केवल मंदिर आंदोलन के क्षितिज पर बल्कि संपूर्ण संत समाज में आला हैसियत वाले माने जाते हैं।
शिवसेना ने जिस तरह से उनके नाम का इस्तेमाल की कोशिश की और महंत नृत्यगोपालदास ने उस पर खुलकर आपत्ति जताई है, उससे साफ है कि शिवसेना को रामनगरी में अपना कार्यक्रम सफल बनाने के लिए काफी पापड़ बेलना पड़ेगा। एक सवाल के जवाब में न्यास अध्यक्ष ने कहा, धर्मसभा का आयोजन सरकार का कान खोलने के लिए किया जा रहा है, ताकि वह हिदुओं की मांग सुनकर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे।
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