राजनीति में तमाम बाधाओं के बावजूद महिलाएं तेजी से अपनी जगह बनाती जा रही हैं। इनमें पारंपरिक राजनीतिक परिवारों से आने वाली महिलाओं के अलावा वे महिलाएं भी हैं जो अपनी प्रतिभा और क्षमता के बल पर अपनी पहचान और जगह बना रही हैं और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रही हैं।
दिव्या स्पंदना का नाम इस सिलसिले में लिया जा सकता है, जिन्होंने सारे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा जब उन्होंने मीडिया में कांग्रेस की दमदार मौजूदगी दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दक्षिण भारतीय फिल्मों की अभिनेत्री दिव्या जिन्हें राम्या के नाम से जाना जाता है, इस बात की मिसाल हैं कि राजनीति और मीडिया में महिलाएं कैसी भूमिका निभा सकती हैं। वैसे मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी और छत्तीसगढ़ में राधिका खेड़ा के रूप में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका में हैं।
भाजपा ने भी महिला शक्ति को पहचाना है और कमल शक्ति के नाम से उनकी फौज खड़ी कर दी है। पार्टी के पास सुषमा स्वराज जैसी विदुषी महिला पहले से मौजूद हैं। स्मृति ईरानी स्टार प्रचारक हैं। सरोज पांडे से लेकर हर्षिता पांडे तक महिलाएं अपनी पहचान बना चुकी हैं। ऋचा जोगी और गीतांजलि पटेल जैसी महिलाओं काे आगे किया है। आरक्षण के बगैर महिलाओं की भागीदारी को बढ़ते देखना निश्चित रूप से सुखद है। अब देखना यह है कि महिलाएं दया, करुणा, न्यायप्रियता जैसे अपने गुणों से राजनीति में सुधार लाने का काम करती हैं कि खुद राजनीति की बुराइयों से ग्रस्त हो जाती हैं। असली चुनौती तो यहीं पर है।
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