नई दिल्ली. राफेल सौदे में ऑफसेट पॉलिसी के उल्लंघन से बचाव के लिए भारत ने फ्रांस से 1,500 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी ली। यह 7 साल तक वैध रहेगी। शुक्रवार को न्यूज एजेंसी ने एक अंग्रेजी बिजनेस अखबार का हवाला देते हुए यह खबर दी। इसके मुताबिक राफेल डील में दैसो ने नियमों का उल्लंघन किया तो रक्षा मंत्रालय के पास बैंक गारंटी को भुनाने का अधिकार होगा।
डील में एक विशेष प्रावधान रखा गया है। इसके मुताबिक राफेल का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहने पर कुल ऑफसेट वैल्यू का 5% बफर के तौर पर रखा जाए। भारतीय हितों की रक्षा के लिए अधिकारियों के जोर देने पर यह क्लॉज जोड़ा गया था। यह प्रावधान उसी तर्ज पर किया गया है जैसा अमेरिका के साथ प्रत्यक्ष सरकारी रक्षा सौदे के समय किया गया था।
यह फ्रांस सरकार की ओर से दिए गए 'लेटर ऑफ कंफर्ट' के अतिरिक्त है जिसके तहत 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को अंडरराइट किया गया है। इस हफ्ते की शुरुआत में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राफेल सौदे में फ्रांस ने कोई सॉवरेन गारंटी नहीं, बल्कि 'लेटर ऑफ कंफर्ट' दिया गया है।
साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांस दौरे के वक्त 36 राफेल विमानों की खरीद का सौदा हुआ था। कांग्रेस इसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है।
राहुल गांधी ने कहा था कि राफेल डील में अनिल अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाया गया। मोदी सरकार के कहने पर दैसो ने अनिल अंबानी की घाटे में चल रही रिलायंस डिफेंस में 284 करोड़ रुपए का निवेश किया।
दैसो के सीईओ एरिक ट्रेपिए ने पिछले दिनों राहुल के आरोपों का जवाब देते हुए कहा था कि रिलायंस डिफेंस को दैसो ने खुद चुना था। उन्होंने कहा कि दैसो साल 1953 से भारत के साथ डील कर रही है। कंपनी किसी पार्टी के लिए काम नहीं करती।
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