वॉशिंगटन. अमेरिका ने पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या में कथित रूप से शामिल 17 सऊदी नागरिकों पर गुरुवार को प्रतिबंध लगा दिया। इनमें सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के करीबी सउद अल-कहतानी और सऊदी के राजनायिक जनरल मोहम्मद ओतैबी शामिल हैं। अमेरिकी राजस्व मंत्री स्टीवन न्यूकिन ने मामले पर बयान जारी कर कहा कि जिन लोगों पर प्रतिबंध लगाए गए वे सब खशोगी की हत्या में शामिल हैं। उन्हें अंजाम भुगतना पड़ेगा।
इन दो बड़े नामों के अलावा जिन लोगों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनमें ओतैबी के साथी माहेर मुतरेब भी शामिल हैं। मुतरेब खशोगी के हत्या वाले दिन (2 अक्टूबर) को तुर्की में ही मौजूद थे। उनके साथ 14 अन्य लोग 2 अक्टूबर को इस्तांबुल छोड़कर सऊदी लौट गए थे। प्रतिबंधों के बाद कोई भी अमेरिकी नागरिक इन लोगों के साथ कारोबार में शामिल नहीं हो सकेगा।
इससे पहले गुरुवार को सऊदी अरब के सरकारी वकील ने खशोगी की हत्या से जुड़े पांच अधिकारियों के लिए मौत की सजा की मांग की। हालांकि, क्राउन प्रिंस को मामले में क्लीनचिट दे दी गई। इस ऐलान के बाद ही अमेरिका ने प्रतिबंध का ऐलान किया।
खशोगी तुर्की में रहने वाली अपनी मंगेतर हेटिस सेंगीज से निकाह करना चाहते थे। इसकी अनुमति के लिए वे 2 अक्टूबर को दस्तावेज लेने इस्तांबुल स्थित सऊदी अरब के दूतावास गए थे, लेकिन वहां से नहीं लौटे। सऊदी अरब के नागरिक रहे खशोगी वॉशिंगटन पोस्ट के लिए लिखते थे। उनके सऊदी के शाही परिवार से अच्छे रिश्ते थे, लेकिन बीते कुछ महीनों से वे प्रिंस सलमान के खिलाफ लिख रहे थे।
खशोगी के लापता होने के बाद सऊदी अरब ने पहली बार 20 अक्टूबर को पत्रकार की हत्या होने की बात कबूल की थी। 2 अक्टूबर से सऊदी के अधिकारी बार-बार दावा कर रहे थे कि खशोगी दूतावास से सही-सलामत बाहर निकले थे। हत्या कबूलने के बाद सऊदी अरब की सरकार ने कहा कि शुरुआती जांच के बाद पांच उच्च अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया गया। वहीं, 18 को गिरफ्तार किया गया।
इस मामले की सुनवाई के दौरान सऊदी अरब की तरफ से पहली बार खशोगी की हत्या का तरीका बताया गया। सरकारी वकील के प्रवक्ता ने कहा कि खशोगी को जहर देकर मारा गया था। इसके बाद उनके शरीर के कई टुकड़े कर दिए गए। पत्रकार के शरीर के टुकड़े दूतावास के बाहर एक एजेंट को सौंपे गए। प्रवक्ता ने इस बात से इनकार किया कि क्राउन प्रिंस को मामले की कोई भी जानकारी थी।
प्रवक्ता ने बताया कि सऊदी अरब के खुफिया विभाग के डिप्टी चीफ जनरल अहमद अल-असीरी ने खशोगी को सऊदी लौटने का आदेश दिया था। इसे नहीं मानने पर असीरी उस टीम के साथ इस्तांबुल गए थे, जिसने खशोगी की हत्या की। सरकारी वकील ने उन पांच अधिकारियों को मौत सजा देने की अपील की, जिन्होंने खशोगी को जान से मारने का जुर्म कबूल किया।
हत्या के इस मामले से संबंध रखने वाले कुल 21 अधिकारियों को हिरासत में रखा गया है। मामले की जांच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कराने की मांग की है। इसके अलावा खशोगी की हत्या से जुड़ी कई ऑडियो रिकॉर्डिंग टर्की पहले ही अमेरिका और पश्चिमी सहयोगी देशों के साथ साझा कर चुका है।
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